धरती के पास से बिना किसी क्षति के गुजर गया विशाल उल्कापिंड

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बिना किसी क्षति के धरती के पास से गुजर गया।पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस खगोलीय घटना पर हर सेकेंड नजर बनाए हुए थे लेकिन आम लोगों को भी ये जिज्ञासा है कि आखिर उन्हें इससे खतरा है या नहीं।आपको बता दें कि ये उल्कापिंड करीब 19 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा था.यह भी बता दे कि इस उल्का पिंड का नाम 1998 OR2 हैं।

वैज्ञानिकों ने साफ कह दिया था कि इस उल्का पिंड से पृथ्वी को किसी तरह का खतरा नहीं होगा।अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के सेंटर फॉर नियर अर्थ स्टडीज के मुताबिक, इस उल्कापिंड का नाम 1998 OR2 हैं. 4 से 8 मीटर तक लंबा चौड़ा चट्टान जैसा उल्कापिंड धरती के बेहद करीब से गुजर गया।

वहीं इस्‍टर्न टाइम के अनुसार ये बुधवार सुबह 5:56 मिनट पर और भारतीय समयानुसार दोपहर 3.30 बजे के आसपास पृथ्‍वी के करीब से होकर गुजरा।पृथ्‍वी की ओर आ रहा एक विशालकाय उल्‍कापिंड आज धरती के करीब से गुजरा बताया जा रहा हैं कि वह आकार में अमेरिका के मैनहट्टन आइलैंड बराबर हैं। जिस वक्‍त यह हमारे ग्रह सबसे पास था तब इसकी दूरी 3.9 मिलियन किमी होने की संभावना व्यक्त की गई।


1998 OR2 नामक इस उल्‍कापिंड की खोज एस्‍टेरॉयड ट्रैकिंग प्रोग्राम के जरिए की गई थी। चपटी कक्षा वाले इस उल्‍कापिंड की खोज 1998 में हो गई थी।तभी से इस पर शोध जारी है. सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 1344 दिन का समय लग जाता। 1998 OR2 को अभी भी एक बड़े “संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह” के रूप में वर्गीकृत किया गया था, क्योंकि सहस्राब्दियों के दौरान, क्षुद्रग्रह की कक्षा में बहुत मामूली बदलाव के कारण इसे पृथ्वी के लिए अब और अधिक खतरा पेश हो सकता था।

बताया जा रहा हैं कि अगली बार ये उल्का पिंड सन् 2079 में धरती के पास से गुजरेगा, उस वक्त चांद से इसकी दूरी केवल चंद्र दूरी से लगभग चार गुना होगी।

अप्रैल माह में एक साथ कई खगोलीय घटनाएं हो रही हैं. इसी माह की 14 अप्रैल को चन्द्रमा और बृहस्पति, 15 अप्रैल को चन्द्रमा और शनि और 16 अप्रैल को चन्द्रमा व मंगल एक दूसरे के सबसे करीब आ चुके है. अंतरराष्ट्रीय खगोलिकी संगठन ने अप्रैल माह को ग्लोबल एस्ट्रोनॉमी मंथ घोषित किया हुआ है. इस माह में पिछले तीन दिनों से चंद्रमा और शुक्र ग्रह के एक साथ आने की अदभुत घटना को हजारीबाग में भी खगोल प्रेमी देख रहे हैं. इसे खुली आंखो से भी देखा जा रहा है।

शुक्र को शाम का तारा भी बोलते हैं. सौरमंडल में इस वक्त शुक्र ग्रह सबसे चमकीला दिख रहा है।चांद और शुक्र का एक दूसरे से काफी निकट दिखने को कंजंक्शन कहते हैं।रविवार और सोमवार को दोनों ग्रह एक साथ ही निकट ही दिखे।यह आगे भी जारी रहेगा. धीरे धीरे दोनों ग्रह दूर होंगे।सूर्य से पड़ने वाली किरणों के कारण अभी यह ग्रह एक ही रूट में दिख रहा हैं।जिससे यह यह ज्यादा चमकीला हैं।अभी चंद्रमा और शुक्र के बीच की कोणीय दूरी लगभग 6 डिग्री तक हो गयी हैं। वह कहते हैं कि पिछले दस दिनों से वह अपने टेली स्कोप से खगोलीय घटनाओं पर ध्यान रख रहे हैं।

source: prabhat khabar

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