मां भगवती की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी व महानवमी के दिन पूजा-पाठ, हवन के साथ कन्या पूजन भी किया जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. ऐसे तो नवरात्रि के नौ दिनों में से किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है, लेकिन अष्टमी व नवमी तिथि को इसका विशेष महत्व है.
ज्योतिषाचार्य पं अविनाश मिश्रा के अनुसार बताया कि कन्या पूजन के लिए कन्याओं की आयु 2 वर्ष से 9 वर्ष तक होनी चाहिए. 9 वर्ष से ऊपर की कन्या नहीं होनी चाहिए. कन्या पूजन में नौ कन्याओं का होना अत्यंत शुभ माना गया है. कुंवारी कन्या पूजन में सबसे पहले सभी कन्याओं का यथासंभव नए वस्त्र पहनाएं. इसके बाद सभी कन्याओं को साफ व स्वच्छ आसन में बैठाएं. आसन पर बैठाने के बाद सभी कन्याओं के पैर साफ जल से धोएं और उनके पांव को लाल रंग से रंगे. उसके बाद कन्याओं को टीका लगाएं.
कन्या पूजन से माता होगी प्रसन्न
पं अविनाश मिश्रा ने कहा कि कन्याओं को अपनी सामर्थ्यनुसार भोजन जरूर कराएं. जिसमें खास कर खीर,पूरी, हलवा और अन्य प्रकार की मिठाई का भोग लगाकर उनसे खाने के लिए निवेदन करें. भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा के रूप में फल,पैसे या उनकी पसंद की वस्तु आदि दें और उनके पांव छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें. मान्यता है कि कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी दुख-दर्द दूर करती हैं. मान्यता है कि कन्या पूजन करने से मां आदिशक्ति दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है. माता रानी की कृपा से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.