नवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण महाष्टमी को माना जाता है. इस पर विशेष जानकारी देते हुए आचार्य डॉ. राम कनाही शास्त्री ने बताया कि महाअष्टमी पूजा का विशेष महत्व है. अगर आप नवरात्रि में किसी कारणवश पूजा नहीं कर पाते हैं तो आप महाअष्टमी पर पूजा करके पूरा फल पा सकते हैं. यह माता गौरी की पूजा होती है. मां सच्चे भावना से मांगने वालों की झोली भर देती है. इसलिए इस व्रत को काफी अहम माना गया है. यह 21 अक्टूबर को रात 09:53 से शुरू होकर 22 अक्टूबर को शाम 07:58 बजे तक होगा.
यह करने पर सातों दिन का मिलता है लाभ
महाष्टमी को लेकर जानकारी देते हुए प्रसिद्ध आचार्य डॉ. राम कनाही शास्त्री बताते हैं कि नवरात्रि में महाष्टमी का दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता हैं. इस दिन भक्ति एक पूजा से लेकर सात पूजा तक अगर पूजा नहीं कर पाते हैं तो महाअष्टमी करें. इस दिन अगर विधि विधान के साथ मां महागौरी की श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं तो उन्हें सातों पूजा का लाभ महाअष्टमी में मिल जाता है. आचार्य डॉ.राम कन्हाई शास्त्री कहते हैं कि महाष्टमी के दिन खासकर श्रद्धालुओं को पीला वस्त्र या लाल वस्त्र धारण करके पूजा करना चाहिए. जिससे मन काफी प्रसन्न होता है.
आचार्य जी ने आगे कहा किजहां तक बात है अष्टमी की तो यह संपूर्ण व्रत है. पहलीपूजा से लेकर नवमीं पूजा तक मां की पूजा की कोशिश करें. अगर नहीं कर पाते हैं तो महाअष्टमी करें. उन्होंने आगे कहा किपहले के समय में बीमारी नहीं होती है. आज के समय में शारीरिकअस्वस्थता के कारण पूजन नहीं कर पाते हैं, तो अष्टमी के दिन मां की विधिवत पूजा करने से संपूर्ण दुर्गा पूजा का फल प्राप्त कर सकते हैं. यह पूजा साक्षात माता गौरी की है. माता गौरी संतान और स्त्री की रक्षा करती हैं. मां भावना की भूखी है. मनुष्य की भावना पवित्र होनी चाहिए. इससे मां काफी प्रसन्न होती है.
सबका कल्याण मांगने से मां होगी प्रसन्न
आचार्य जी ने कहा कि मंदिर में जा कर पूजा करें.दीप प्रज्वलित करें. घर आकर कुल देवी की पूजा करें, मंत्र का जाप करें, इससे मां खुश होती है. इस दिन लाल या पीला वस्त्र पहनने. मां सबके कल्याण की प्रार्थना जल्दी सुनती है. इसलिए समाज और राष्ट्र की कल्याण के लिए पूजा करनी चाहिए. पूजा आस्था का चीज है. जहां आस्था है वहां रास्ता है. अगर मन में आस्था और भावना है तो पुत्र, धन, आरोग्य के साथ सब कुछ देती है. इसलिए मन में श्रद्धा के साथ पूजा करनी चाहिए.