कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी मीडिया से मुखातिब होकर अपनी अगली रणनीति का खुलासा करेंगे।
माना जा रहा है कि चौधरी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और विधान परिषद से इस्तीफा दे सकते हैं। समर्थकों के साथ विधान परिषद के उपसभापति को इस्तीफा सौंपने का मौका अशोक चौधरी से छिन गया है।
अब चौधरी मीडिया के सामने इस्तीफे का पत्र पेशकर सुर्खियां बटोरने की कोशिश करेंगे। साथ ही खुद के दलित होने की वजह से कांगेस में प्रताड़ित होने का दांव भी खेल सकते है।
इस्तीफे के बाद अशोक चौधरी के दूसरी पार्टी में जाने का रास्ता खुल जाएगा। सूत्रों की माने तो जेडीयू में चौधरी को दलित नेता के तौर पर सेकेंड लाइन की लीडरशिप में जगह मिल सकती है।
चौधरी की सीएम नीतीश कुमार से करीबी जग जाहिर है। हिंदी-अंग्रेजी पर पकड़ रखने वाले अशोक चौधरी अच्छे वक्ता भी रहे हैं।
उधर, जेडीयू भी कांग्रेस को तोड़ने के आरोप से बच जाएगी। अशोक चौधरी के पास ये हैं 3 विकल्प
• अशोक चौधरी कांग्रेस के सदस्य रह सकते हैं। उनको पार्टी से नहीं निकाला गया है।
• वह 18 विधायकों के साथ पार्टी तोड़कर अलग गुट बना सकते हैं।
• पार्टी और विधान परिषद से इस्तीफा देकर जदयू या किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुजरात से लौटने और दशहरे की छुट्टी खत्म होने के बाद बिहार कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है।