फाइलेरिया रोग को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य विभाग भी इस मुहिम में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभा रहा है। लिहाजा समुदाय स्तर पर इसे लेकर सघन जागरूकता अभियान संचालित किया जा रहा है। सहयोगी संस्था के सहयोग से रोग प्रभावित इलाकों में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप तैयार कर समुदाय स्तर पर लोगों को रोग के कारण, बचाव सहित उपलब्ध इलाके प्रति जागरूक किया जा रहा है।
फाइलेरिया मरीजों के इलाज व ससमय जरूरी चिकित्सकीय परामर्श व दवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित फाइलेरिया क्लीनिकभी इस दिशा में बेहद कारगर व प्रभावी साबित हो रहा है। फारबिसगंज व रानीगंज प्रखंड में क्लीनिकसंचालित है। जल्द ही इसे अन्य प्रखंडों में विस्तारित करने की दिशा में जरूरी पहल की जा रही है।
वर्ष 2030 तक एनटीडी उन्मूलन का लक्ष्य
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह उष्ण कटिबंधीय जलवायु प्रदेशों में खासतौर पर होने वाले रोग फाइलेरिया यानि हाथी पांव, कालाजार, कुष्ठ, डेंगू, चिकनगुनिया को नेग्लेक्टेड ट्रापिकल डिजीज यानि उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों की श्रेणी में रखा गया है। वर्ष 2030 तक देश से ऐसी बीमारियों से मुक्त कराने का लक्ष्य है। इसे लेकर विभागीय स्तर से जरूरी पहल किये जा रहे हैं। हाल के दिनों में कालाजार व फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में जिले ने उल्लेखनीय प्रगति की है।
रोग नियंत्रण को लेकर उठाये जा रहे प्रभावी कदम
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा अजय कुमार सिंह ने कहा कि एनटीडी सूची में शामिल रोग जन स्वास्थ्य के लिये बड़ी चुनौती बनी हुई है। अब हाथीपांव, कालाजार सहित अन्य रोगों पर प्रभावी नियंत्रण को ठोस कदम उठाये जा रहे हैं। ताकि समय पर संबंधित मामलों का पता लगाकर, इसके नियंत्रण, सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम, चिकित्सकीय सेवाओं तक लोगों की आसान पहुंच संबंधी प्रयासों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए रोग नियंत्रण संबंधी उपायों को मजबूती दिया जा सके। इसी कड़ी में फाइलेरिया क्लीनिकका संचालन, पेसेंट सपोर्ट ग्रुप का निर्माण कारगर व प्रभावी कदम माना जा रहा है।