आरा के एकचक्रपुरी में चातुर्मास महायज्ञ में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। स्थानीय लोगों के अलावे यहां दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। चंदवा आने वाली सभी गाड़ियां यात्रियों से भरी हुई हैं। शहर में 5 लाख भक्त आए हुए हैं। आरा सनातनी संस्कृति और आस्था का जीवंत गवाह बन गया है।
शहर से सटे एकचक्रापुरी चंदवा पूरी तरह यज्ञ नगरी में बदल गया है। चंदवा बांध पर पहुंचते ही यहां कुंभ जैसा नजारा देखने को मिलता है। पूजास्थल पर मुख्य यज्ञशाला सहित कुल 1008 यज्ञशाला बनाए गए हैं। मुख्य यज्ञशाला में 125 हवन कुंड है। अन्य 1007 यज्ञशालाओं में भी एक-एक हवन कुंड बना हुआ है।
यहां एक साथ 1032 लोग बैठकर हवन कर सकते हैं। दक्षिण भारत के आचार्यों और धर्माचार्यों के लिए अलग से 37 यज्ञशालाओं का निर्माण कराया गया है। संत, महंत, परमहंस, योगी, हठी, अन्नाहारी, फलाहारी और जलाहारी के लिए अलग-अलग शिविर और भोजनालय बनाए गए हैं।
कुल 11 हजार रेवटी का निर्माण किया गया है। इनमें 10 हजार छोटी रेवटी (छोलदारी), 700 शामियाना, यूपी टेंट, दरबारी टेंट और स्विस कॉटेज सौ-सौ हैं। करीब चार माह तक सैकड़ों कारीगरों और हजारों लोगों के दिन-रात श्रमदान से ये संभव हो सका है।
यज्ञशालाओं के निर्माण में कुंभ के कारीगरों को लगाया गया है। उन्होंने पूरे विधि-विधान से इनका निर्माण किया है। प्रयाग से भी टेंट मंगाये गये हैं।
जगदाचार्य श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के चातुर्मास्य व्रत की पूर्णाहुति और श्री भाष्यकार रामानुजाचार्य स्वामी के सहस्त्राब्दी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित सहस्त्र महायज्ञ के लिए एक हजार क्विंटल हवन सामग्री और 120 क्विंटल शुद्ध घी की व्यवस्था की गई है।
पूरा वातावरण भक्ति में डूबा नजर आ रहा है। चातुर्मास महायज्ञ के दौरान आगामी 4 अक्तूबर को अखिल भारतीय अंतराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन का आयोजन होगा जिसमें देश के महान संत और धर्माचार्य शामिल होंगे। इस धर्म सम्मेलन में RSS प्रमुख मोहन भागवत के शामिल होने का कार्यक्रम भी निर्धारित है।
धर्म सम्मेलन के दौरान महायज्ञ स्थल की 10 किलोमीटर की परिधि में हेलिकॉप्टर से फूलों की वर्षा की जाएगी। साथ ही देश के विभिन्न प्रमुख नदियों से लाये गए जल का छिड़काव भी हेलीकॉप्टर से होगा।