अपने बच्चों के लिए मांएं करती हैं जितिया, जानें इस व्रत में नोनी साग का विशेष महत्व

जानकारी

जिउतिया पर्व अपने आप में बेहद ही खास माना गया है. सनातन धर्म में यह पर महिलाएं अपने संतान के दीर्घायु होने की कामना के लिए करती है. इस पर्व में कई सारे ऐसे चीजें और वस्तुएं हैं, जिसका प्रयोग विशेष माना गया है. जिसके बिना यह पर्व अधूरा माना जाता है. ऐसे ही आज हम बात कर रहे हैं, विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी नोनी के साग की.

यह साग अब आमतौर पर हर जगह नहीं मिलती है. लेकिन जिउतिया पर्व में इस साग का विशेष महत्व होता है. जिसकी वजह से गांव और ग्रामीण क्षेत्र से इस साग को महिलाएं तोड़कर लाती हैं और इस पर्व में काफी महंगे दामों पर बाजारों में बेचती हैं. आज हम बात करेंगे कि जिउतिया पर्व में इस साग का उपयोग क्यों किया जाता है.

क्या है नोनी साग का महत्व ?

नोनी साग के बारे में हमने कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभागअध्यक्ष डॉक्टर कुणाल कुमार झा से बात की तो उन्होंने बताया कि नोनी के साग को पवित्र माना गया है. इसलिए इस साग का उपयोग जिउतिया पर्व में किया जाता है.

मरुआ-रोटी और मारा माछ 
साथ में इस पर्व में महिलाओं को 24 घंटे से लेकर 36 घंटे तक का व्रत करना पड़ता है. जिसमें जल ग्रहण तक भी नहीं किया जाता है, तो उससे पहले ऐसी कुछ पौष्टिक आहार लिए जाते हैं. जिससे कि इतने लंबे समय तक महिलाओं को स्वस्थ रख सके. उसी में से एक नोनी का साग है, जो पौष्टिक आहार माना जाता है. इस पर्व में ना सिर्फ नोनी के साग बल्की मरुआ की रोटी और मारा माछ का भी विशेष महत्व है. यह नहा खाई से पहले ग्रहण किया जाता है. इन सब चीजों के बिना यह पर्व अधूरा माना गया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *