रेलवे जंक्शन पर रहने वाले अनाथ या गरीब बच्चे अब यूं ही नहीं भटकेंगे. इन बच्चों को भी शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा. इसके लिए अभी स्टेशन परिसर पर ही इन बच्चों की प्राइमरी पाठशाला लगाई जा रही है. इसके बाद इन बच्चों का एडमिशन स्कूलों में करवाया जाएगा.
यह सब कुछ मुजफ्फरपुर रेल एसपी डॉ. कुमार आशीष की पहल पर हो रहा है. रेल पुलिस पाठशाला की शुरुआत हो गई है. इस अनोखी पहल की शुरुआत स्वतंत्रता दिवस से की गई है. प्लेटफॉर्म पर भटकने वाले लावारिस और जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है. इनकी क्लास सुबह के 9 से 11 बजे तक लगती है. रेल थाना में लगने वाली क्लास में रेल एसपी डॉ. कुमार आशीष खुद छोटे-छोटे बच्चों को A,B,C,D सीखा रहे हैं.
पहले बनाई गई सूची
पाठशाला शुरू करने के लिए सबसे पहले अनाथ व असहाय बच्चों की सूची तैयार की गई. इसके बाद इन बच्चों को बैग, किताब, कॉपी, स्लेट, पेंसिल, पेन इत्यादि दिया गया. रेल एसपी ने बताया कि कुछ दिन लगातार इनको पढ़ाने के बाद नजदीकी सरकारी स्कूलों में इनका बाकायदा एडमिशन करवा दिया जाएगा. ये बच्चे वहां भी पढ़ेंगे. इसके बाद रेल पुलिस पाठशाला भी स्कूल के समय बाद के समय में चलती रहेगी. ताकि उन्हें बाकि बच्चों के समकक्ष बनाया जा सके. उन्होंने बताया किबच्चों में भी उत्साह दिख रहा है.
सामुदायिक पुलिसिंग के तहत वर्तमान रेल एसपी ने ऐसे कई प्रयोग पूर्व में विभिन्न जिलों में एसपी के रूप में किया है, जिनसे अपराध नियंत्रण और बेहतर समाज की अवधारणा को लगातार बल मिला है. रेल एसपी के प्रयासों को मधेपुरा, नालंदा, किशनगंज और मोतिहारी की जनता आज भी याद करती है. जिसकी बानगी उनके सोशल मीडिया एकाउंट्स पर भी दिखती है.
रेल पुलिसकर्मी बने शिक्षक
रेल एसपी ने बताया कि रेल पुलिस पाठशाला की शुरुआत की गई है, ताकि जिन बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पाई है उन्हें भी शिक्षा मिल सके. इससे वे भीअच्छे नागरिक बन सकेंगे. अच्छी शिक्षा और संस्कार ले सकेंगे. शिक्षक के रूप में रेल पुलिस की महिला सिपाहियों, जवानों और विभिन्न श्रेणी के पदाधिकारियों को लगाया गया है.
रेल एसपी ने बताया कई बच्चों ने आगे चल कर पुलिस इंस्पेक्टर बनने की चाहत भी जताई. ऐसे में इन बच्चों की शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना अनिवार्य है. ये बिलकुल आगे भविष्य में अच्छा करेंगे और पुलिस प्रशासन के लिए मददगार साबित होंगे.