आजकल स्कूल और उनकी फीस काफी चर्चा में रहती है. बिहार का यह स्कूल भी अपने फीस को लेकर चर्चा में है. इस स्कूल के शिक्षक बच्चों को स्कूल आने के दौरान रास्ते में मिलने वाले कचरे को उठाकर लाने को कहते हैं. बिहार के गया जिले में यह स्कूल है. जहां पर बच्चे रोजाना रास्ते में मिलने वाले कचरे को उठाकर स्कूल लाते हैं. उसे डस्टबिन में डाल देते हैं. रास्ते में मिलने वाले कचरा ही इनकी फीस होती है. यानी कि इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को कोई पैसा नहीं देना होता और सिर्फ रोजाना इन्हें रास्ते में मिलने वाले कचरे को उठाकर लाना होता है.
स्कूल का नाम पद्म पानी, डोनेशन से है चलता
जी हां, यह स्कूल गया के बोधगया प्रखंड के सेवा बीघा गांव में मौजूद है. इस स्कूल का नाम पद्म पानी स्कूल है.जो 2014 से संचालित किया जा रहा है. बताया जाता है कि इस गांव के आसपास कोई भी सरकारी स्कूल नहीं है और यहां के बच्चे काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. गरीब बच्चों में शिक्षा का अलख जगाने के लिए इस विद्यालय की स्थापना की गई थी. यह विद्यालय डोनेशन से चलता है और जो भी डोनेशन स्कूल को मिलता है, उससे बच्चों को निशुल्क पढ़ाई, काॅपी, कलम, जूता, कपड़ा खाना दिया जाता है.
स्कूल दे रहा है पर्यावरण संरक्षण का बड़ा संदेश
पद्मपानी एजुकेशनल एंड सोशल फाउंडेशन से संचालित पद्मपानी स्कूल कचरा बेचकर जो पैसा इकट्ठा करती है. उस पैसे को बच्चों की पढ़ाई, खाना, कपड़ा और किताबों पर खर्च किया जाता है. बता दें कि विद्यालय में बिजली का कनेक्शन नहीं है, बल्कि स्कूल का संचालन सौर ऊर्जा से किया जाता है. गया का यह स्कूल पर्यावरण संरक्षण का एक बड़ा संदेश दे रहा है. स्कूल के बच्चे गांव के सड़क के किनारे हजारों पेड़ लगा चुके हैं. आसपास के लोग अब इस स्कूल से प्रेरित होकर अपने गांव मोहल्ले को नियमित रूप से साफ सफाई करने लगे हैं.
10 वीं के बाद 5 हजार की राशि प्रोत्साहन के तौर पर है मिलती
स्कूल की प्रिंसिपल मीरा कुमारी बताती हैं कि कचरे के रूप में स्कूल फीस लेने के पीछे मुख्य मकसद बच्चों में जिम्मेदारी की भावना का एहसास कराना है. आखिर यही बच्चे तो बड़े होंगे. अभी से ही यह बच्चे पर्यावरण के खतरों के प्रति जागरूक हो रहे हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चे जब मैट्रिक पास कर जाते हैं तो उन्हें आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए 5 हजार की राशि प्रोत्साहन के तौर पर दी जाती है. नौवीं और दसवीं की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में करने वाले यहां के बच्चों के लिए स्कूल एक्स्ट्रा क्लास की सुविधा भी दी जाती है. प्रिंसिपल ने बताया कि इस विद्यालय में सुबह क्लास शुरू होने से पहले प्रार्थना होती है उसके बाद भोजन करने से पहले भी प्रार्थना होती है. इसके अलावा गार्डेनिंग का काम भी बच्चे ही संभालते हैं.