मूर्तियां गढ़नेवाले सिर्फ मूर्ति ही नहीं गढ़ते, उसके जरिए अपना भविष्य भी गढ़ते हैं. यह बात प्रफेशनल कलाकारों के लिए कही जा सकती है, पर उस 14 साल के बच्चे के लिए नहीं जो शौकिया तौर पर मूर्तिकारी कर रहा हो. आपकी मुलाकात एक ऐसे ही शौकिया कलाकार से करवाने जा रहा हूं, जो फिलहाल नवीं क्लास में पढ़ता है और कभी मिट्टी तो कभी मोम से मूर्तियां बनाता है. पूर्णिया के इस कलाकार का नाम है शौर्यवान सिंह.
अपनी उम्र के मुताबिक शौर्यवान की कला तारीफ की डिमांड करती है. बेशक उसकी बनाई मूर्तियां आकर्षित करती हैं और बेहतर कलाकार होने की उम्मीद भी जगाती हैं. उसने अपनी कल्पना से कई मूर्तियां बनाई हैं. एक झटके में इन मूर्तियों को देखकर आप दंग रह जाएंगे. इन्हें देखकर आपको लगेगा कि अनगढ़पन की भी अपनी खूबसूरती होती है.
मां से मिली प्रेरणा
शौर्यवान ने लोकल18 से कहा कि वह पहले पेंटिंग किया करता था. लेकिन मम्मी को तीज के मौके पर पूजा के लिए मूर्तियां बनाते देखीं. तभी मन में ख्याल आया और पेंटिंग को छोड़कर मूर्ति बनाने लगा. वह कहते हैं कि तीज व्रत ही नहीं, बल्कि दुर्गापूजा, सरस्वती पूजा और अन्य कई त्योहारों पर भी छोटे-बड़े साइज की मूर्तियां बनाया करते हैं.
मिट्टी और मोम की मूर्तियां
उन्होंने कहा कि वे मिट्टी, मोम और रैसे सहित अन्य कई चीजों से मूर्ति बनाते हैं, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा आसान मिट्टी से बनाना होता है. इसमें खर्च भी कम होता है. उन्होंने कहा कि वे अपने जब नानी के घर जाया करते हैं तो अपने नानी के घर से मिट्टी ले आते हैं. उसी मिट्टी से यहां रंग-बिरंगे मूर्तियां बनाया करता हैं. जिस मूर्ति को आप वीडियो स्क्रीन पर देख पा रहे हैं, भगवान भोलेनाथ की यह मूर्ति बनाने में उन्हें तकरीबन 9 दिन लगे. वे कहते हैं कि मूर्ति बनाने के बाद उन्हें पेंट करने और सजाने में समय ज्यादा लग जाता है.
शौर्यवान सिंह पूर्णिया के डीएवी पब्लिक स्कूल में नौवीं क्लास का छात्र हैं. वे एनएनसीसी कैडेट भी हैं. उन्होंने कहा कि उसने अब तक कई सारी मूर्तियां बनाई हैं. मोम की मूर्ति बनाने में उन्हें थोड़ी परेशानी होती है. दरअसल मोम की मूर्ति व्यावसायिक और प्रोफेशनल लोग आसानी से बना लेते हैं. लेकिन वे तो अभी मूर्ति बनाने के शुरुआती मोड़ पर ही है, जिस कारण मोम की मूर्ति बनाने में थोड़ी परेशानी होती है.