पटना का मिजाज कभी नहीं बदला। ये वो पटना है, जो हजारों साल पहले भी राजधानी था और आज भी राजधानी है। ये वो पटना है, जिसकी मेधा आर्यभट्ट से लेकर तथागत तक जानी परखी जा सकती है।
कहते हैं कि मगध की धरती लड़ाकू है, मगर ये अपने लिए नहीं देश और समाज के लिए लड़ा है। आज भी पटना में गंगा का वही किनारा है, जहां छठ पर जनसैलाब उमड़ता है। वही गांधी मैदान है, जहां हर शाम मेला लगता है।
आधुनिक प्रतीकों के साथ-साथ पटना में आप मौर्यकालीन अगमकुआं देखकर दांतों तले अंगुलियां दबा लेंगे। मान्यता है कि सम्राट अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या कर उनके शव इसमें फेंके थे। शख्सियतों की बात करें तो उनके बिना भारत का इतिहास पूरा नहीं हो सकता।
अशोक, चंद्रगुप्त, चाणक्य की बात हो या फिर देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और संपूर्ण क्रांति के प्रणेता जयप्रकाश नारायण की। आज यहां की शान लोकगायिका शारदा सिन्हा भी हैं।