अनाथ और स्लम के बच्चों को रहता है इनक इंतजार! देखते ही खिल उठते हैं इनके चेहरे

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 खुशियों के त्योहार के रूप से प्रसिद्ध दीपावाली में लोग अपनों के साथ खूब एंजॉय करते हैं. लेकिन बिहार की राजधानी पटना में स्पोर्ट्स क्लब के युवाओं के द्वारा स्लम के गरीब बच्चों संग दीपावली मनाई जाती है. यूथ फाउंडेशन के हेड ऋषिकेश बताते हैं कि गरीब बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए ही वे लोग उनके साथ दीपावली मनाते हैं. इतना ही नहीं, वे आगे कहते हैं कि साल भर उनके ग्रुप के द्वारा रोज़ स्लम के बच्चों को पढ़ाया जाता है. स्लम के कई बच्चे अब विभिन्न स्पोर्ट्स में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

सिटी ताइक्वांडो क्लब के कोच और नेशनल रेफरी 45 वर्षीय जेपी मेहता कहते हैं कि पिछले चार साल से पटना जिला के अगमकुआं में स्थित स्लम बस्ती में 16 से 25 वर्षीय युवाओं का एक ग्रुप सक्रिय रूप से काम कर रहा है. वे आगे बताते हैं कि जैसे सामान्य परिवारों के बच्चे हर साल दीपावली में नए कपड़े पहनते हैं, मिठाई खाते हैं, पटाखे छोड़ते हैं. उसी प्रकारस्लम के बच्चों भी दीपावली में ये सब चीज़ों के लिए उत्साहित रहते हैं. जेपी मेहता की मानें तो स्लम के कई बच्चों के मां बाप नहीं है, कई भीख मांगकर गुजारा करते हैं. ऐसे में उन बच्चों को भी दीपावली जैसे त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है.

बातचीत में बताया कि हर साल छोटी दीपावली के दिन स्लम के तकरीबन 80 से 90 बच्चों के लिए मिठाई, कपड़े, पटाखे इत्यादि की व्यवस्था की जाती है. युवाओं के इस ग्रुप के द्वारा ही सभी खर्च उठाए जाते हैं. जेपी मेहता ने बताया कि इस बार भी छोटी दीपावली के दिन स्लम के बच्चों को मुस्कान बाटने की तैयारी की जा रही है.

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