बिहार के हीरो Anand Kumar
कभी साइकिल पर घूम-घूम कर पापड़ बेचने वाले सुपर 30 के फाउंडर Anand Kumar पर फिल्म बन रही है। उनकी बायोपिक बनाई जा रही है।
फेमस मैथमेटेशियन Anand Kumar से फिल्म के लिए निर्देशक विकास बहल और प्रोड्यूसर प्रीति सिन्हा ने संपर्क किया है। जुलाई में उनकी एक मीटिंग होनी है। इस फिल्म का नाम भी सुपर 30 रखा गया है। सूत्रों की माने तो इस फिल्म में आनंद कुमार की भूमिका मशहूर अभिनेता निभाएंगे।
जानकारी के मुताबिक, फिल्म में Anand Kumar की मेहनत व उनके सालों से गरीब बच्चों के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया जाएगा। देश-विदेश में गरीब बच्चों को आईआईटी में भेजने के लिए मशहूर आनंद कुमार इस फिल्म को लेकर उत्साहित हैं।
उन्होंने बताया कि फिल्म के प्रोड्यूसर व निर्देशक ने फिल्म बनाने को लेकर उनसे संपर्क किया है। इस फिल्म के लिए तीन शर्तें रखी गई हैं। पहली शर्त है कि एक्टर उनकी पसंद का हो। दूसरी शर्त ये है कि वे स्क्रिप्ट पहले पढ़ेंगे उसके बाद ही उसे ओके करेंगे।
तीसरी शर्त है कि म्यूजिक डायरेक्टर भी उनकी पसंद का होना चाहिए। इन सभी मसलों पर जुलाई में होनेवाली मीटिंग में चर्चा होगी। उसके बाद सारी चीजें फाइनल होंगी। सूत्रों की माने तो इस फिल्म में Anand Kumar की भूमिका मशहूर अभिनेता ऋतिक रोशन निभाएंगे।
इसपर बात लगभग हो चुकी है। स्क्रिप्ट भी फिल्म की लिखी जा चुकी है।
आनंद कुमार की फैमिली मिडिल क्लास से बिलॉन्ग करती है। उनके पिता पोस्टल विभाग में क्लर्क थे। बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाने का खर्च निकालना उनके लिए मुश्किल था।
इसलिए बच्चों को हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल में ही पढ़ाया। मैथ आनंद का फेवरेट सब्जेक्ट हुआ करता था।
वे बड़े होकर इंजीनियर या साइंटिस्ट बनना चाहते थे। 12वीं के बाद Anand Kumar ने पटना यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया जहां उन्होंने गणित के कुछ फॉर्मूले इजाद किए।
इसके बाद कैम्ब्रिज से आनंद को बुलावा आ गया। यहां एक समस्या ये आई कि कैम्ब्रिज जाने और रहने के लिए लगभग 50 हजार रुपयों की जरूरत थी।
लेकिन इतने पैसे आनंद के पास नहीं थे।बताया जाता है कि जब कैम्ब्रिज जाने के लिए आनंद ने पिता से रुपयों की बात की तो उन्होंने अपने ऑफिस में बात कर रुपयों का इंतजाम कर लिया।
1 अक्टूबर 1994 को आनंद को कैम्ब्रिज जाना था लेकिन इससे पहले 23 अगस्त 1994 को उनके पिता का निधन हो गया। घर में Anand Kumar के पिता अकेले कमाने वाले थे।
उनके चाचा अपाहिज थे। लिहाजा घर की सारी जिम्मेदारी आनंद के कंधों पर आ गई।
इसके बाद Anand Kumar अपने फेवरेट सब्जेक्ट मैथ पढ़ाकर गुजारा करने लगे। लेकिन जितना वे कमा रहे थे उससे घर का खर्च पूरा नहीं हो पा रहा था।
इसलिए आनंद की मां ने घर में पापड़ बनाने शुरू किया और Anand Kumar रोज शाम को चार घंटे मां के बनाए पापड़ों को साइकिल में घूम-घूम कर बेचते। ट्यूशन और पापड़ से हुई कमाई से घर चलता था।