भाई-बहन के निश्छल प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन आने में महज कुछ दिन शेष हैं. बिहार के पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि रक्षाबंधन प्राचीन काल से चलता आ रहा है. इस पर्व को मनाने और चलती आ रही परंपरा भाई को अपनी बहन के लिए प्यार और विश्वास की याद दिलाएगा. आप अपने भाई को इस शुभ मुहूर्त मे रक्षा सूत्र बांध कर विश्वास और रक्षा का संकल्प लें. इस बार इसके शुभ मुहूर्त को लेकर कई कंफ्यूजन है. इस रिपोर्ट को पढ़ कर आप शुभ मुहूर्त में अपने भाई की कलाई पर राखी बांधें.
पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि इस बार दो दिन पूर्णिमा होने के कारण लोग 31 अगस्त को शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन का त्योहार मनाएंगे. उन्होंने कहा कि मिथिला पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस बार पूर्णिमा 30 अगस्त को 10:20 बजे प्रवेश करेगा. इसके कुछ देर बाद ही भद्रा नक्षत्र शुरू हो जायेगा. इसलिए इस नक्षत्र में रक्षाबंधन नहीं मना सकते. यह समय अशुभ माना जाता है. भद्रा नक्षत्र खत्म होने के बाद देर रात कुछ समय रहेगा, लेकिन रात में रक्षा सूत्र नहीं बांध सकते. इसके बाद रक्षाबंधन पर्व के लिए शुभ समय सावन महीना के शुक्ल पक्ष 31 अगस्त के दिन गुरुवार की सुबह पांच बजे के बाद से सुबह 7:52 बजे तक शुभ समय है. तत्पश्चात अमृत योग में अपने भाई की कलाई पर राखी बांधें. यदि इस समय में वो राखी बांधती हैं तो अच्छा फल मिलेगा. भाई-बहन के लिए 31 अगस्त शुभ फलदायक होगा.
सदियों से चली आ रही है रक्षाबंधन मनाने की परंपरा
पंडित जी कहते हैं कि वर्तमान में परंपरा के अनुसार भाई को बहन के द्वारा रक्षा सूत्र बांधा जाता है. यह प्रचलन प्राचीन समय से चला आ रहा है. इसके बारे में कहा जाता है कि एक देश की सेना सीमा की सुरक्षा करने जा रही थी तब एक बहन ने एक जवान के हाथ में रक्षा रक्षा सूत्र बांधा था. इसने उनके विश्वास को मजबूती से भर दिया. बहन ने जवान भाई से कहा कि देश के लिए लड़ाई करो, हमारा रक्षा (कवच) तुम्हारे साथ है. तुमको कोई छू नहीं सकता. जीत हासिल करने के बाद जवान जब वापस आया तो पूरा देश ने जश्न मनाया.
तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा. बहन, भाई के हाथ में रक्षा सूत्र बांध कर उसकी रक्षा की कामना करती है. इसी तरह, हर बहन अपने भाई के साये में सुरक्षित महसूस करती है. पंडित मनोत्पल झा ने कहा कि मेरी बहन के साथ सभी बहनें 31 अगस्त की सुबह पांच बजे से लेकर 7:45 बजे तक अपने भाई को राखी बांधें और उनका आशीष प्राप्त करें.