शुक्रवार को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही पूर्णिया के लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। आखिर हो भी क्यों न, आखिर पूर्णिया के लाल अमिताभ पाराशर को उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘आइज ऑफ डार्कनेस’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिलने की घोषणा की गई जो भारत सरकार की ओर से फीचर और गैर फीचर ( डॉक्यूमेंट्री) श्रेणी की फिल्मों के लिए सिनेमा के क्षेत्र में श्रेष्ठ काम करने वाले फिल्मकार और फिल्मों को दिया जाता है।
अमिताभ पाराशर की डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘आइज ऑफ डार्कनेस’ दर्शाती है कि किस तरह भागलपुर में अंखफोड़वा कांड के कई साल बीत जाने के बाद भी आजतक लोगों के आंख फोड़े जा रहे हैं। 54 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री में ग्रामीण इलाकों में हर साल आंख फोड़ने की 9-10 घटनाओं का दावा किया गया है। फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर अमिताभ पाराशर ने बताया कि फिल्म में सिर्फ 2012 से 2016 के बीच की आंख फोड़ने की घटनाओं का ही रिकॉर्ड दिखाया गया है। अपने शोध में पाराशर ने इसके पहले की भी कई घटनाओं की विस्तृत जानकारियां इकट्ठी की हैं, लेकिन समय और संसाधन क अभाव की वजह से उन्हें फिल्म में नहीं डाल सके।
आइज ऑफ डार्कनेस के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अमिताभ पाराशर को तीन मई को राष्ट्रपति भवन, दिल्ली में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित करेंगे।