बिहार में इस बार डा. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर जदयू और राजद गांव-गांव तक यह बात पहुंचाएंगे कि किस तरह केंद्र सरकार संविधान के ढांचे पर प्रहार कर रही है।
अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को बताया जाएगा कि उनका संविधानिक अधिकार खतरे में है। सतर्क रहें। एकजुटता से अपनी ताकत दिखाएं।
जदयू पहली बार इतने बड़े स्तर पर आंबेडकर जयंती का आयोजन कर रहा है। यह पंचायत स्तर पर उत्सव के रूप में होगा।
स्थानीय स्तर पर पार्टी के नेता पंचायत व टोलों के लोग आंबेडकर जयंती कार्यक्रम मे मौजूद रहेंगे। मुख्यालय स्तर पर इसका अनुश्रवण भी किया जाएगा।
युवाओं को इस कार्यक्रम से विशेष रूप से जोड़ा जा रहा है। यह भी पहली बार हुआ कि आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर जदयू ने दीपोत्सव का आयोजन किया।
जदयू के प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह भी शामिल होंगे।
इसका आयोजन जदयू की पटना महानगर इकाई ने किया है। प्रखंड मुख्यालयों पर राजद का आयोजन राजद भी राज्य मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक आंबेडकर जयंती का आयोजन कर रहा।
राजद ने अपने सभी जिलाध्यक्षों को आंबेडकर जयंती के बारे में निर्देश दिया है। गरीबों और शोषितों को किस तरह से उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा इस बारे में लोगों को बताया जाएगा।
केंद्र की साजिश के साथ-साथ यह बताएंगे कि नीतीश कुमार ने दलित समाज के लिए क्या किया : अशोक चौधरी
जदयू ने आंबेडकर जयंती को ले इस वर्ष अपने फारमेट को थोड़ा आक्रमक बनाया है। जदयू के वरिष्ठ नेता व भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने इस आयोजन को ले कई जिलों में जाकर भीम संवाद का आयोजन किया।
इस आयोजन के उद्देश्य पर उनसे की गई बातचीत के अंश- क्या जरूरत पड़ गई भीम संवाद के आयोजन की? – दरअसल इसके माध्यम से अनुसूचित जाति व जनजाति समाज के लोगों को उनके अधिकारों के लिए सजग व सतर्क रहने की बात की जा रही है।
लोगों को संगठित रहने को कहा जा रहा। क्या कोई खतरा है उनके अधिकारों को लेकर? खतरा तो दिखता है। संविधान द्वारा उन्हें दिए गए आरक्षण पर गाहे-बगाहे टिप्पणी कर दी जा रही। बयानबाजी चलती है।
इसलिए इस समाज के लोगों के बीच हम भीम संवाद कार्यक्रम के माध्यम से गए और उन्हें सतर्क किया। इसके अलावा भी कोई मसला है क्या? मसले तो काफी हैं।
निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण का प्रविधान नहीं हो रहा। इसी तरह केंद्र सरकार के स्तर पर काफी काम आउटसोर्सिंग के माध्यम से किए जा रहे। उसमें आरक्षण नहीं है।
इन मुद्दों पर भी बात होगी। आपकी भी तो सरकार है? नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने विगत 17 वर्षों में अनुसूचित जाति व जनजाति समाज के लोगों के लिए काफी काम किए।
उनकी सहूलियत के लिए नए नियम-कानून बनाए। उन्हें अधिकार देकर सशक्त बनाया। इसी तरह आर्थिक रूप से सशक्तता हासिल करने को ले उनके लिए मु्ख्यमंत्री उद्यमी योजना आरंभ किया गया।
इसके तहत उन्हें पांच लाख रुपये अनुदान के रूप में और पांच लाख रुपये बगैर ब्याज का ऋण दिया। इससे वे अपना उद्योग शुरू कर सकते हैं। मुख्यमंत्री परिवहन योजना के माध्यम से अलग से मदद की जाती है।