सच है की माँ हमारे लिए कितना कुछ करती है। उसकी ममता, त्याग और प्यार के बारे में लिखा नहीं जा सकता न ही बयान किया जा सकता है। कभी हर काम के लिए अपनी माँ पर निर्भर रहने वाले लोग अपने पैरों पर खड़े होते ही माँ का सारा एहसान भूलकर अपनी दुनिया में इतने मशगूल हो जाते हैं की उन्हें माँ के दर्द का कभी एहसास ही नहीं होता। लेकिन वहीं कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हे माँ की हर ख़ुशी और ग़म से वास्ता होता है।
और ऐसे ही कुछ लोगों में शामिल है पटना के अभिषेक रॉय, व्रूम व्रूम मोटर्स क्लब के मालिक जो कुछ ऐसा करने जा रहे जिसे सुन कर दिल खुश हो जाता है। अभिषेक कहते हैं, ‘माँ ने मदद की मेरे बिज़नेस करने में, अब बहुत सी माँ की मदद करके ख़ुशी बांटना चाहता हूँ।’
अभिषेक ने बताया की जब घर पर उन्होंने बिज़नेस करने की बात की तो सब ने मना कर दिया था, लेकिन माँ तो माँ होती है, अपने बच्चे पर विशवास करके उन्होने बिज़नेस करने में मदद की। अब एक साल बाद जब उनका बिज़नेस बहुत अच्छे से चल रहा, तब उन्होंने ये फैसला लिया की कंपनी की एनिवर्सरी वह कुछ उन माँ के साथ मनाएंगे जो अपने बच्चों से और अपनों से दूर वृद्धा आश्रम में रहती हैं।
11th अप्रैल को अभिषेक की कंपनी व्रूम व्रूम मोटर क्लब की पहली एनिवर्सरी है, उस दिन वृद्धा आश्रम में रहने वाले बुजुर्ग के साथ मानाने जा रहे उनके लिए कुछ कपड़े, केक, खाना खिलाने के साथ ही उनकी पसंद की फिल्म भी दिखाएंगे। अभिषेक रॉय कहते है की माँ भगवान का दिया सबसे प्यारा तोहफा है। माँ से हम हैं और माँ से ही दुनिया है।अभिषेक के इस नेक काम को ‘एक बिहारी सब पर भारी’ का सलाम।
इसी पर वॉव स्टूडियो के सस्थापक, रोहित रॉय ने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं:
कोई है जो खो गया है
किसी को आँचल की छाँव पहुंचने में,
किसी के आँशु को मुस्कान बनाने में
खुद अक्षर टटोल कर,
किसी को अफसर बनाने में
कोई खो गया है ममता की चादर बनाने में।
लेकिन ऐसा नहीं वह कमजोर हो गयी है,
हाँ तुम से दूर थोड़ी मजबूर हो गयी है।
तुम आँचल की छाँव भूल गए ना,
माँ की किस्तो का प्यार भूल गए ना।
अफ़सोस तो नहीं है ना उसके जाने का,
माँ की मुस्कान तो याद है ना।
पर हर कोई भूलता नहीं उन किस्तो के प्यार को
माँ के आंचल, माँ के आंसू,
माँ के हर एहसान को।