बिहार के सभी जिला (सदर) अस्पतालों में दवाओं के नाम बोर्ड पर प्रदर्शित नहीं करने पर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (सीएमओ) पर कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व में ही सभी सदर अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता की सूचना बोर्ड लगाकर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया था। लेकिन, विभिन्न जिला अस्पतालों में यह जानकारी नहीं दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने दवाओं की आपूर्ति लगातार किए जाने के बावजूद उसकी जानकारी आम मरीजों को नहीं दिए जाने को लेकर सख्त नाराजगी जतायी गयी है।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों को बोर्ड पर दवाओं की उपलब्धता की जानकारी अनिवार्य रूप से सार्वजनिक करने का टास्क सौंपा है। सभी सिविल सर्जन को कहा गया है कि अस्पताल में जो दवाएं उपलब्ध हैं, उनकी जानकारी प्रदर्शित करें तथा जो दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, उसकी भी जानकारी दें। प्रतिदिन इन दवाओं की सूची को अपडेट किया जाए ताकि कोई कर्मचारी उपलब्धता नहीं होने का बहाना कर मरीज को दवा नहीं दे तो उसके खिलाफ शिकायत की जा सके।
आवश्यक दवाओं की सूची (ईडीएल) की जानकारी होने से मरीजों को लाभ होगा। राज्य के अस्पतालों में सर्दी, खांसी, बुखार, चर्म रोग, सामान्य दुर्घटना में प्राथमिक उपचार को लेकर जरूरी दवाओं सहित 72 प्रकार की दवाएं सदर अस्पताल के बाह्य रोगी कक्ष (ओपीडी) में रखी जानी है। वहीं, आंतरिक रोगी कक्ष (आईपीडी) में 100 दवाएं उपलब्ध रखना है।
72 दवाओं को सदर अस्पतालों के ओपीडी में उपलब्ध रखना है
राज्य के अस्पतालों में सर्दी, खांसी, बुखार, चर्म रोग, सामान्य दुर्घटना में प्राथमिक उपचार को लेकर जरूरी दवाओं सहित 72 प्रकार की दवाएं सदर अस्पताल के बाह्य रोगी कक्ष (ओपीडी) में रखी जानी है। वहीं, आंतरिक रोगी कक्ष (आईपीडी) में 100 दवाएं उपलब्ध रखना है। अस्पताल में दवाओं के उपलब्ध होने के बावजूद उसकी जानकारी नहीं होने पर मरीजों को प्राय: बाजार से दवा खरीदनी पड़ती है। कई आवश्यक दवाएं जैसे सोफरामायसिन (जलने पर लगायी जाने वाली) के आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल नहीं होने की जानकारी तक मरीजों को नहीं होती है।