अब ग्लोबल होगा मगही का पान! GI टैग मिलने के बाद इन जिलों में भी होगी खेती, जानें क्या है खासियत

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यूं तो भागलपुर कतरनी व जर्दालु के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन अब यहां भी मगही पान की खेती करने पर विचार किया जा रहा है. दरअसल मगही पान मगध की तरफ अधिक मात्रा में उपजाई जाती है. बीएयू के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने बताया कि मगही पान को जीआई टैग मिल गया है. अब किसानों को इसका अच्छा लाभ मिलेगा. मगही पान की बात ही कुछ ऐसी है. इस पान को मुंह में खाते ही यह गल जाता है. जो लोगों को खूब पसंद होता है. मगही पान की खेती से किसानों को लाभ मिलेगा. साथ ही विदेशों में इस पान के दीवाने भी इसे चख पाएंगे.

किसानों की आमदनी भी अब दोगुनी होगी

कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने बताया कि पान के किसानों की आमदनी भी अब दोगुनी होगी. इसके साथ साथ बिहार के आम, कतरनी चूड़ा के साथ साथ अब पान भी विदेश के लोग चख पाएंगे. कुलपति ने आगे बताया कि ऐसे तो कोई भी टैग किसी विशेष क्षेत्र के लिए मिलता है. लेकिन उत्पादन अगर एक जगह कहीं हो रही है तो हरेक जगह इसका उत्पादन सम्भव है. इसके लिए किसानों के समूह को तैयार किया जा रहा है. ताकि पान का एक्सपोर्ट किया जा सके.

भागलपुर में भी कुछ किसान इसकी खेती के लिए तैयार हुए हैं. जल्द ही भागलपुर में भी इसकी खेती की जाएगी. इनको इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी. वहीं उन्होंने बताया की आगे किसानों को काफी लाभ होने वाला है. ये ऐसा पान होता है जो कई दिनों तक तोड़ने के बाद भी सड़ता या गलता नहीं है. इसलिए इस पान की मांग अधिक होती है. जो दुकानदार काफी दिनों तक इस पत्ते को रख सकता है. इसका पता हल्का पीले रंग का होता है.

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