अब प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को भी विद्यालयों के शिक्षक ही पढ़ाएंगे. ऐसा निर्देश शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को नजदीक के स्कूल से जल्द से जल्द टैग किया जाएगा. आवश्यकता पड़ने पर स्कूल के शिक्षक टैग किए गए केंद्रों के बच्चों को सप्ताह में एक-दो दिन पढ़ाएंगे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में केके पाठक ने अधिकारियों को इस कार्य को जल्द पूरा करने के संबंध में निर्देश दिया है.

विभाग का यह भी निर्देश है कि आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूल में ही जरूरत के अनुसार एक या दो कमरा मुहैया करवाया जाए. ऐसा खासकर उन केंद्रों के लिए जो फिलहाल किराए के भवनों में चल रहे हैं. शिक्षा विभाग का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में जगह दी जाएगी. अगर जगह की दिक्कत हो तो आवश्यकतानुसार माध्यमिक विद्यालयों में भी एक-दो कमरे आंगनबाड़ी केंद्रों को दिए जाएंगे. बता दें कि कि आंगनबाड़ी केंद्रों में आंगनबाड़ी सेविकाएं बच्चों को पढ़ाने का काम करती हैं. पर, जरूरत के अनुसार स्कूल के शिक्षकों को भी केंद्र के बच्चों को पढ़ाने के लिए कहा गया है
इस कदम से ये होगा फायदा
इस संबंध में विभाग के एक पदाधिकारी ने बताया कि आंगनबड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चे पहली कक्षा से विद्यालय में जाते हैं. ऐसे में अगर छोटे बच्चे पहले से उसी स्कूल में जाते रहेंगे तो उन्हें पढ़ने- लिखने का ज्यादा बेहतर माहौल मिलेगा. इससे पहली कक्षा में जब बच्चों का नामांकन होगा तो वह स्कूल जाने में झिझकेंगे नहीं. साथ ही अन्य बच्चों से उन्हें सीखने का मौका भी मिलेगा. इसी मकसद से यह निर्णय लिया गया है. विभागीय पदाधिकारी बतातें हैं कि आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन स्कूलों में होगा तो पहली कक्षा में नामांकन भी शत प्रतिशत हो सकेगा.
15 अगस्त तक स्थानांतरित करने का है आदेश
किराए के भवनों में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों को नजदीक के स्कूलों में स्थानांतरित करने के लिए 15 अगस्त तक का समय सभी जिलों को दिया गया है. शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है. जिला और प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय कर इस कार्य को अंजाम देने में जुट गए हैं. बता दें कि बिहार में 1 लाख 15 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं. कई केंद्रों का संचालन सामुदायिक भवनों में किया जा रहा है. जबकि, 50,000 से अधिक केंद्र अभी भी किराए के भवनों में संचालित किए जा रहे हैं.