आस्था के पर्व ने तोड़ी धर्म की दीवार, मन्नत पूरी हुई तो असगर करने लगे छठ; तीसरी बार रखा व्रत

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लोक आस्था के महान पर्व छठ पूजा सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम युवकों के लिए भी आस्था का प्रतीक बन गया है।

पहले मुस्लिम समुदाय के लोग छठ में सहयोग करते थे लेकिन, अब छठ पर्व के प्रति आस्था और भगवान सूर्य के प्रति उनका विश्वास इतना बढ़ गया है, कि निर्जला व्रत रख कर भगवान भास्कर को अर्घ्य दे रहे हैं।

कोरानसराय थाना क्षेत्र के कनझरुआं पंचायत के मुखिया मो. असगर अली ने लगातार तीसरी बार निर्जला व्रत धारण कर भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया।

ऐसे तो असगर अली मुखिया बनने के बाद लगातार छठ पूजा का अनुष्ठान किए हैं, लेकिन इसके पहले भी लगातार ब्रह्मपुर धाम और विंध्याचल जाकर हिंदू देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करते रहे हैं।

उन्होंने बताया कि मनौती के तौर पर पहली बार सूर्योपासना अनुष्ठान किया और इसमें घर परिवार सहित समाज के हर लोगों का सहयोग मिला।

उन्होंने बताया कि लोक आस्था के महान पर्व छठ पूजा पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रकृति के पूजा के रूप में माना जाता है। इसलिए इसे लोक आस्था का पर्व कहा जाता है और इसे हर वर्ग और संप्रदाय के लोग श्रद्धा भक्ति के साथ कर सकते हैं।

पंचायत मुखिया ने कहा कि हिन्दू और मुस्लिम अगर एक दूसरे के व्रत को धारण करते हैं और उसमें शामिल होते हैं तो न सिर्फ कौमी एकता को बल मिलेगा, बल्कि समाज में आपसी भाईचारा और सौहार्द का माहौल कायम होगा।

मुखिया बनने के लिए मांगी थी मनौती

वर्ष 2016 में चुनाव के दौरान कनझरूआं पंचायत में मुखिया पद के लिए इन्हें महज 55 वोट से हार का मुंह देखना पड़ा था और उसी समय लोक आस्था के महापर्व छठ का माहौल चल रहा था। असगर अली ने मनौती किया मुखिया बनने के बाद ताउम्र निर्जला छठ व्रत करेंगे। मन्नतें पूर्ण हुई और वर्ष 2021 के चुनाव में उक्त पंचायत से अल्पसंख्यक रहते हुए भी मुखिया पद का चुनाव जीत गए।

इस बार भी मो. असगर अली सपरिवार पीला वस्त्र धारण कर अपने गांव कमधरपुर में स्थित तालाब के किनारे छठ घाट पर पहुंचे और अर्घ्य देकर गंगा जमुनी तहजीब की बेजोड़ मिसाल कायम की। अब मुखिया असगर अली पूरी जिंदगी छठ पूजा करने की बात कहते है।

परिवार के लोगों का मिलता है सहयोग

छठ पूजा कर रहे असगर अली ने बताया कि आस्था और विश्वास के इस पर्व में परिवार के सभी सदस्यों का पूरा सहयोग मिलता है।

पत्नी रजियां बेगम, पुत्र आफताब आलम, आरिफ और अरशद के साथ ही बेटियां मुस्कान, सबीना और कायनात सहित आसपास में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों का भी सहयोग मिलता है।

उन्होंने बताया कि छठ पूजा को देखते हुए दीपावली के बाद से ही घर परिवार के कोई भी सदस्य लहसुन और प्याज तक का भी सेवन नहीं करते हैं। इस बार भी असगर छठ घाट पर सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारा कायम रखने का संदेश दिया।

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