आलू नहीं गोल्डन समोसे ने बिहार के इस शहर में मचाई, स्वाद ऐसा कि कुछ ही घंटों में बिक जाते हैं 300 पीस

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 खानपान की चीजों में दुकानदार और कारीगर रोज नए बदलाव ला रहे हैं ताकि अलग स्वाद के लिए ग्राहक दुकान तक पहुंचे. अब तक जहां बाजारों में नमकीन समोसा की बिक्री होती थी, वहीं बक्सर में अब मीठे समोसे का डिमांड बढ़ गया है. दरअसल, शहर के ज्योति चौक के पास आदर्श स्वीट्स में नमकीन के साथ मीठा समोसा भी बनता है. मीठा समोसा को लोग गोल्डन समोसा भी कहते हैं.

ज्योति चौक का यह पहला दुकान है जहां मीठा समोसा के लिए हर दिन ग्राहकों की भीड़ जुट रही है. इस समोसे को बनाने वाले कारीगर संतोष कुमार ने बताया कि इस समोसे को खोआ से तैयार किया जाता है. इसके अंदर आलू और मसाला नहीं भरा जाता है बल्कि, उसके जगह पर खोआ भरा जाता है.

200 से 300 समोसे की होती है बिक्री
कारीगर संतोष कुमार ने बताया कि इस समोसे को लोग मीठा समोसा या फिर गोल्डन समोसा बोला करते हैं. उन्होंने बताया कि यह समोसा 12 रुपये में ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं जबकि नमकीन समोसा 6 रुपये पीस में बिकता है. संतोष ने बताया कि मीठा समोसे की डिमांड जबरदस्त है. डिमांड के मुताबिक उसकी पूर्ति नहीं हो पाती है. इसके पीछे की वजह है कि नमकीन समोसे के मुकाबले खोआ वाले समोसा को बनाने में मेहनत और समय काफी अधिक लगता है. लिहाजा, हर दिन 200 से 300 पीस मीठा समोसा बनाया जाता है जो शाम होने से पहले बिक चुका होता है. संतोष ने बताया कि इसको बनाने में खोआ, चीनी, मैदा तथा तेल की जरुरत पड़ती है.

एक किलो खोआ से 20 पीस समोसा होता है तैयार
संतोष ने बताया कि खोआ बाजार से 250 से लेकर 350 रुपये की रेट में खरीदते हैं. वहीं एक किलो खोआ में 20-22 पीस समोसा तैयार हो जाता है. संतोष ने बताया कि दुकान में 4 लोग काम करते हैं, जहां समोसा के अलावा मिठाई और लिट्टी भी बनती है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन दो से ढाई हजार समोसा से आमदनी होता है. इसके पहले पटना तथा बनारस में रह कर काम करते थे. वहीं से सीखकर जब बक्सर आए तो मीठा समोसा बनाने लगे. उन्होंने बताया कि इस समोसे का रंग सुनहरा है, इसलिए इसे गोल्डन समोसा भी कहा जाता है. इसके लिए मैदा में गोल्डन रंग मिलाया जाता है, जिससे इसका लुक आकर्षक दिखता है.

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