आजादी के पहले से बनाई जा रही खाजा मिठाई, इसके बिना नहीं सज सकता छठ का डाला

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छठ का त्योहार हो और खाजा की बात ना हो, यह मुमकिन नहीं है. खाजा की बात हो, तो सुपौल जिले के पिपरा बाजार का नाम सहज ही लोगों की जुबान पर आ जाता है. आखिर ऐसा क्या है पिपरा बाजार के खाजा में, क्यों यहां का खाजा कोसी-सीमाचंल के अलावा नेपाल सहित दूसरे देशों तक फेमस है. आखिर क्या है पिपरा बाजार के खाजा की खासियत कि लोग इसके जायके के दीवाने हैं. ऐसी कई महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए आइए खुद पिपरा बाजार के खाजा निर्माताओं से जानते हैं, क्या है पूरा मामला.
छठ पूजा में खाजा का बड़ा महत्व है. सुपौल शहर से पिपरा बाजार की दूरी करीब 22 किलोमीटर है. इस बाजार में 50 से अधिक खाजा की दुकाने हैं. स्थानीय दुकानदार बताते हैं कि यहां आजादी से पहले ही खाजा बनाने की शुरुआत हो गई थी. स्व. गौनी साह ने यहां खाजा के कारोबार की शुरुआत की थी. इसलिए स्व. गौनी साह को पिपरा के खाजा का जनक माना जाता है. व्यवसायी चंदन कुमार बताते हैं कि यहां का खाजा लंबा, पतला और कई परतों में बहुत ही खास्ता बनाया जाता है. विशेष रूप से शुद्ध घी में इसे बनाया जाता है, जो खाने में बहुत लजीज होता है. सामान्य दिनों में अकेले पिपरा बाजार की सभी दुकानों को मिला कर रोजाना करीब 12 क्विंटल खाजा की खपत हो जाती है. जबकि छठ पूजा के दौरान यह कई गुना बढ़ जाती है.

सीएम नीतीश चख चुके हैं स्वाद
उन्होंने बताया कि शुद्ध घी में बना खाजा 320 रुपए प्रति किग्रा बेचा जाता है. इसकी सबसे अधिक डिमांड रहती है. वहीं, चंदन बताते हैं कि अकेले उनकी दुकान में रोजाना 10 कर्मी काम करते हैं. खाजा का स्वाद लें रहे स्थानीय प्रमोद विश्वास ने बताया कि यहां का खाजा देश से लेकर विदेशों तक भेजा जाता है. लोग अपने स्वजनों को विशेष रूप से सूखा खाजा पैक करवाकर भेजते हैं. जिसे लोग चीनी की चासनी में डुबाकर विदेश में होने के बाद भी पिपरा बाजार में होने का अहसास करते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पिपरा बाजार के खाजा का स्वाद चख चुके हैं.

 

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