84 खंभों वाला होगा पटना का इस्कॉन मंदिर,परिक्रमा करने से दूर हो जाएंगे पाप

आस्था

ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां के सफेद संगमरमर इसकी खूबसूरती की जान हैं। ये सफेद संगमरमर बेहद खास हैं। ये पाए जाते हैं राजस्थान के मकराना इलाके में।उसी मकराना से वैसे ही पत्थर काट कर लाए गए हैं पटना में। इन्हीं पत्थरों पर नक्काशी करके तैयार किए जा रहे हैं 84 खंभे, जिन्हें पटना में निर्मित हो रहे इस्कॉन मंदिर में लगाया जा रहा है।नक्काशी करनेवाले कारीगर भी खास हैं। ये भी मकराना से ही आए हैं। यहां महीनों से रहे हैं और दिन रात इन पत्थरों को काट कर सुंदर रूप दे रहे हैं। कारीगरों के बीच ही बैठे हैं इस्कॉन के अध्यक्ष कृष्णकृपा दास। वे मकराना के इन पत्थरों के बारे में काफी कुछ बताते हैं।

कहते हैं मकराना में कई तरह के पत्थर होते हैं। ये पत्थर सबसे उत्कृष्ट हैं। इन पत्थरों की खासियत यह है कि चाहे धूप हो या बारिश, इनकी सफेद चमक कभी फीकी नहीं पड़ती।
बताते हैं कि इन पत्थरों को 300-400 फीट नीचे गहरे खदानों से निकाला जाता है। मंदिर के गर्भगृह वाले मुख्य प्रांगण में पूरे फर्श पर इन्हीं मकराना के पत्थरों की प्लेटें लगाई गई हैं। फिलहाल इन्हें प्लास्टिक से ढंककर रखा गया है। खंभे दिख रहे हैं। कई खंभे लगा दिए गए हैं।
हालांकि दो खंभों के ऊपर अर्धगोलाकार तोरण(आर्च) लगाने का काम बाकी है। कृष्णकृपा दास बताते हैं कि इन पत्थरों की खासियत यह भी है कि इन पर खाली पैर जितने ज्यादा लोग चलेंगे, परिक्रमा करेंगे, उतनी ही इनकी चमक बढ़ती जाएगी।
यहां काम करनेवाले मकराना के कारीगर बताते हैं कि उन्हीं के पूर्वजों ने ताजमहल के लिए भी इन पत्थरों को काटा था। नक्काशी की थी। यहां बन रहे 84 खंभे नागरा शैली के हैं। नीचे के हिस्से में नागफनी के चित्र हैं।
ऊपर वाले हिस्से में कमल की पत्तियां उकेरी गई हैं। मुख्य प्रांगण के भीतर से बनी बॉलकनी में भी मकराना के पत्थरों से ही ‘मोर-बेल’ बनाई जा रही है। जैसे मोर पंख फैलाए बैठे हों।

इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष कृष्णकृपा दास बताते हैं कि देश में अब तक दो ही 84 खंभोंवाले मंदिर हैं। एक गोकुल में दूसरा गुजरात में। इनके बारे में मान्यता है कि इन्हें खुद विश्वकर्मा ने बनाया है।
एक खंभा एक लाख योनियों का प्रतीक है। पटना इस्कॉन मंदिर में ये 84 खंभे इस प्रकार बनाए जा रहे हैं कि श्रद्धालु इनके बीच से होकर भगवान की परिक्रमा करेंगे। 84 खंभों के बीच से परिक्रमा के कारण यह मोक्षधाम होगा। पूरा परिक्रमा पथ इस तरह बनाया जा रहा है कि भक्त भगवान से जुड़ सके।
इसीलिए इसके चारों ओर भगवान की लीला दर्शायी जाएगी। उसके लिए भी काम चल रहा है। दीवारों पर भगवान के चित्र उकरे हुए रहेंगे। मंदिर में पहुंचकर श्रद्धालु एक ही साथ कई धामों की निकटता महसूस कर सकेंगे।
जहां 84 खंभे गोकुल धाम की याद दिलाएंगे, वहीं मंदिर के बाहरी हिस्से के लाल पत्थर द्वारिका धाम का भाव पैदा करेंगे। मंदिर निर्माण का कार्य चल ही रहा है, पर अभी से श्रद्धालु यहां देखने के लिए आने लगे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *