74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर जानिए परेड से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, जो सबको होनी चाहिए मालूम

जानकारी

देश भर में आज, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। इस साल देश अपना 74वां रिपब्लिक डे मना रहा है। राष्ट्रीय त्योहार को मनाने की तैयारियां भी जोरो-शोरो से चल रही है। स्कूल-कॉलेज में, जहां इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन के लिए फिलहाल प्रैक्टिस की जा रही है। वहीं, दिल्ली के कर्तव्य पथ पर भी इस साल की परेड के लिए तैयारियां लगभग अपने अंतिम चरण में हैं। बता दें कि परेड में इस साल 23 झांकियां दिखाई जाएंगी, जिनमें 17 झांकियां विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की होंगी जबकि छह विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों की हैं। आइए जानते हैं इस मौके पर गणतंत्र दिवस की परेड से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट्स।

पहली गणतंत्र दिवस परेड 1950 में आयोजित की गई थी। यह इरविन एम्फीथिएटर (Irwin Amphitheater) (अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम) में हुई थी। इस परेड में तीन हजार भारतीय सैन्य कर्मियों ने भाग लिया था।

राजपथ पर पहली बार परेड 1955 में आयोजित की गई थी। इस समारोह में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद (Pakistan’s Governor General Malik Ghulam Muhammad) मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।

परेड के लिए सभी प्रतिभागी 2 बजे तैयार हो जाते हैं और 3 बजे तक राजपथ पर पहुंच जाते हैं। हालांकि, परेड की तैयारी पिछले साल जुलाई में शुरू होती है जब सभी प्रतिभागियों को उनके हिस्सा लेने के बारे में औपचारिक रूप से सूचित किया जाता है। अगस्त तक वे अपने संबंधित रेजीमेंट केंद्रों पर परेड का अभ्यास करते हैं। इसके बाद दिसंबर तक दिल्ली पहुंच जाते हैं। 26 जनवरी को औपचारिक रूप से प्रदर्शन करने से पहले ही प्रतिभागी करीब 600 घंटे का अभ्यास कर चुके होते हैं।

26 जनवरी की परेड के पूर्वाभ्यास के लिए हर ग्रुप 12 किलोमीटर की दूरी तय करता है, लेकिन 26 जनवरी के दिन केवल 9 किलोमीटर की दूरी तय करता है।

परेड के आयोजन में भाग लेने वाले प्रत्येक सैन्यकर्मी को 4 लेवल की जांच से गुजरना होता है। इसके अलावा, उनके हथियारों की पूरी तरह से जांच की जाती है।

परेड में शामिल झांकियां लगभग 5 किमी/घंटा की गति से चलती हैं, ताकि सभी लोग उन्हें अच्छी तरह से देख सकें।

प्रत्येक गणतंत्र दिवस परेड कार्यक्रम में “एबाइड विथ मी” (Abide with me) गीत बजाया जाता है क्योंकि यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पसंदीदा गीत था। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस साल केंद्र सरकार ने इसे हटा दिया है।

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