500 साल पुराने इस मंदिर में है चारमुखी शिवलिंग, हठयोगी ने लंगोट में अग्नि डालकर किया था इसे प्रकट

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 महादेव अपने भक्तों को अलग-अलग रुप में दर्शन देते हैं. उनके हरेक शिवलिंग में कोई न कोई कहानी या राज छुपा है. इससे भक्तों को लाभ मिलता है. ऐसा ही एक शिवलिंग पूर्णिया में है. यह लगभग 500 साल पुराना है. यह चार मुखी है.वही मंदिर के पुजारी परमानंद मिश्र और सुबोध मिश्र ने बताया की चार मुख वाला शिविलिंग पूर्णिया में एकमात्र है. इसकी स्थापना आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व इस मंदिर हट्टी नाथ बाबा ने की थी. यह बहुत ही शक्तिशाली हैं. यह मंदिर माता पुरणदेवी देवी मंदिर प्रांगण में स्थित हैं.

लंगोट में अग्नि डालकर इसको किया प्रकट, फिर की स्थापना

वही जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी परमानंद मिश्र कहते हैं प्राचीन काल में घनघोर जंगल था. जंगल में बाबा हट्टी नाथ नाम के महात्मा थे. वह हठयोगी तपस्या करते थे. उन्होंने अपना लंगोट को अग्नि में डालकर पूजा पाठ कर उन्हें प्रकट किया.उसके बाद इस महादेव शिवलिंग की स्थापना की गई. यह मंदिर तकरीबन 500 वर्ष पुराना है. यह मंदिर सुर्खी और चूना से बना हुआ है. इसमें चौमुखी महादेव कीशिवलिंग स्थापित है.लोगों का आस्था रहता है और लोग पूजा पाठ करने आते हैं और लोगों की मनोकामना निश्चित ही पूर्ण होती है.सावन में लोगों की बहुत भीड़ देखी जाती है. पंडित जी कहते हैं कि इस मंदिर के हमारे लगभग खानदानी से ही पुजारी की परंपरा से चलती आ रही है.

पूर्णिया में एकमात्र हैं चौमुखी शिवलिंग

पंडित सुबोध मिश्र कहते हैं कि यह प्राचीन काल का चौमुखी शिविलंग का मंदिर है.बहुत लोग इस मंदिर में आते हैं. पूजा पाठ करने और उसके मनोकामना निश्चित ही पूर्ण होती है.यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है. वह कहते हैं कि पूर्णिया में एकमात्र मंदिर चौमुखी महादेव मंदिर पूर्णिया के माता पुरण देवी माता मंदिर के प्रांगण में स्थित है जहां लोग पूजा अर्चना करने आते हैं.

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