दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में अब पटना भी शामिल हो गया है। प्रदूषण का लेवल शहर में मानक से करीब पांच फीसदी अधिक है जिसका सबसे बड़ा कारण वाहनों की संख्या में इजाफा होना है।
पिछले पांच साल के दौरान प्रति वर्ष करीब 90 हजार वाहन बढ़े हैं। 01 अप्रैल, 2011 को पटना में 2।34 लाख निबंधित वाहन थे, जो 31 मार्च, 2016 में बढ़ कर 6174 लाख हो गये अर्थात 4140 लाख वाहनों का इजाफा।
प्रति घनमीटर 60 माइक्रोग्राम की मान्य सीमा से अधिक कई जगहों पर वायु गुणवत्ता 280 पाया गया। सीएजी के मुताबिक़ राज्य परिवहन आयुक्त ने प्रदूषण जांच केंद्रों के डाटाबेस की जांच नहीं की है। डीटीओ व एमवीआइ ने उपकरण रहते कभी वाहनों के प्रदूषण लेवल की जांच नहीं की और न ही प्रदूषण जांच केंद्रों की मानक की माॅनीटरिंग हुई।
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की वित्तीय वर्ष 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार पटना तारामंडल ने शहर की वायु गुणवत्ता को देश में सबसे अधिक अस्वास्थयकर कहा है।