पूर्णिया की ई-कॉमर्स कंपनी हॉउस ऑफ मैथिली आज ग्लोबल हो चुकी है. इसके फाउंडर मनीष रंजन पहले मुंबई में 48 लाख के पैकेज पर नौकरी छोड़ कोरोना में पूर्णिया लौटे. महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए हॉउस ऑफ मैथिली की शुरुआत की. आज 30 से अधिक महिला रोजगार पा रही है. यहां हैंडलूम में कई प्रॉडक्ट तैयार हो रहें हैं.
पूर्णिया की ई-कॉमर्स कंपनी हॉउस ऑफ मैथिली आज अलग पहचान बना चुकी है. यहां हैंडलूम से कई प्रकार के कपड़े तैयार होते हैं. 30 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिला है. इसके संस्थापक मनीष रंजन खुद फैशन डिजाइनर रह चुके हैं.
पूर्णिया के हॉउस ऑफ मैथिली की शुरुआत एक वर्ष पूर्व हुई. यहां अलग-अलग टाइप के कपड़े को तैयार होते हैं. पूर्णिया की महिलाओं द्वारा बनाए कपड़े की डिमांड भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, दुबई सहित अन्य देशों मे खूब हो रही है.
इसमें महिलाओं के द्वारा बच्चों और व्यस्क सहित महिलाओं के कपड़े बनाये जाते हैं. हॉउस ऑफ मैथिली में बने कपड़े गुणवत्ता के कारण दुनिया के अलग-अलग देशों में खूब डिमांड है.
पूर्णिया की हॉउस ऑफ मैथिली में अब तक लगभग 30 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं. सभी महिलाओं को अच्छी कमाई हो रही है. सभी स्थानीय महिला खुशी से काम कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.