करीब 21 साल पूर्व जनआंदोलन के दौरान हंगामा और तोड़फोड़ करने के मामले में छपरा कोर्ट से गुरुवार को भाजपा सांसद, विधायक व पूर्व विधायक समेत कई आरोपितों को बड़ी राहत मिली। राजग के नेताओं द्वारा वर्ष 2001 में छपरा के थाना चौक जाम करने और सड़क पर धरना- प्रदर्शन को लेकर छपरा नगर थाना में सरकार बनाम जनार्दन सिंह सीग्रीवाल सहित कुल 68 आरोपितों पर पुलिस ने नामजद प्राथमिकी दर्ज की थी । इसमें न्यायालय ने 29 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। शेष आरोपितों का रिकॉर्ड अलग कर दिया। साथ ही जलालपुर थाना में दर्ज प्राथमिकी के आरोपित महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल व अन्य को भी इस मामले में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
जलालपुर थाना के कन्हैया सिंह तूफानी ने जलालपुर चौक पर निर्माणाधीन स्वर्गीय महेंद्र स्मारक के पेडेस्टोल तोड़ने का आरोप जनार्दन सिंह सीग्रीवाल व श्रीराम उपाध्याय पर लगाया था। दोनों मामलो की सुनवाई विशेष न्यायिक दंडाधिकारी एमपी- एमएलए न्यायालय सह एसीजेएम प्रथम सह सब जज प्रथम रणधीर कुमार के न्यायालय में हुई। सुनवाई के दौरान महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, तरैया के विधायक सह विधानसभा में उप मुख्य सचेतक जनक सिंह , गड़खा के पूर्व विधायक ज्ञानचंद्र मांझी, झरीमन राय , रंजीत सिंह समेत भाजपा नेता उपेन्द्र सिंह व एनडीए के दर्जनों पूर्व व वर्तमान पदाधिकारी उपस्थित थे।
अभियोजन की ओर से अभियोजन पदाधिकारी अजीत कुमार सिन्हा ने न्यायालय में सरकार का पक्ष रखा व बचाव पक्षों की ओर से अधिवक्ता सुभाष चंद श्रीवास्तव, गंगोत्री प्रसाद नीरज नयन पवनकुमार व अन्य ने पक्ष रखा। अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने सांसद ,विधान सभा के उप मुख्य सचेतक, पूर्व विधायक व अन्य को साक्ष्य के अभाव में रिहा करने का आदेश दिया।