उत्तर, पूर्व और पश्चिम के राज्यों में थोड़े दिन के लिए ही सही, कड़ाके की ठंड पड़ेगी। मौसम विज्ञान विभाग के इस आकलन के दायरे में पूवरेत्तर का प्रमुख राज्य बिहार भी शामिल है। इसकी बड़ी वजह मानसून की बारिश है, जो इस साल सामान्य से कम रही।
पूरे बिहार में अनुमान से नौ फीसद और पटना में 30 फीसद कम। इस कारण सर्दी के मौसम में जब-तब घने कोहरे की आशंका ज्यादा है। उसी आधार पर थोड़े दिनों के लिए कड़ाके की ठंड का आकलन है।
बिहार में इस बार दिसंबर-जनवरी में तापमान में औसतन एक फीसद की गिरावट हो सकती है। यह संभावित आकलन पिछले साल की तुलना में है। कड़ाके की ठंड का यह दौर इस साल दिसंबर से अगले साल 15 जनवरी के बीच अनुमानित है।
उस दौरान तापमान औसत रूप डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। में यह डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।
सर्दी के मौसम में वर्ष 1951 से न्यूनतम तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही। सन् 10 तक इसमें एक डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो चुका था। मानसून इसका महत्वपूर्ण कारण है। बरसाती बादल लगातार पतले हो रहे और बल्क में बारिश कराने वाले कम ऊंचाई के बादल कम।
इसके अलावा मानसून का दौर औसतन एक दिन कम हो गया है। इसका नतीजा है कि बारिश सामान्य से कम हो रही। तापमान में बढ़ोतरी की एक कारण के साथ द्वंद्व भी है। वह घना कोहरा है।
कम बारिश के कारण कोहरा और धुंध की नौबत बनती है। कोहरा के साथ हवा में नमी बढ़ जाती है और ठंड हाड़ कंपाने लगती है। बेशक ऐसा थोड़े दिनों के लिए ही होता है। इस बार यह प्रभावी होगा।