बिहार में नगर निकाय चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं के अगर दो ज्यादा बच्चे हैं तो वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। यही नहीं, दो से ज्यादा बच्चे होने की सूरत में अगर कागज पर भी उन्होंने बच्चे को किसी को गोद दे दिया होगा तो भी उस बच्चे की गिनती होगी और उनको चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने कुछ जिलों से इस संबंध में पर्चा रद्द करने को लेकर नियमों पर स्थिति साफ करने कहा था जिसके बाद आयोग ने साफ कर दिया है कि जैविक रूप से कैंडिडेट अगर दो से ज्यादा बच्चों का माता या पिता है तो वो चुनाव नहीं लड़ पाएगा भले ही उसने अपना कोई बच्चा गोद दे दिया हो।
असल में बिहार नगर निकाय चुनाव कानून 2007 में प्रावधान है कि जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं वो चुनाव नहीं लड़ सकते। बिहार में 2012 और 2017 का नगर निकाय चुनाव इस नियम के साथ हो चुका है। बिहार में अभी दो चरणों के चुनाव की तारीख आ गई है और तीसरे की आनी है। जिन दो चरण के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हुई है उनके लिए 10 और 20 अक्टूबर को वोटिंग होगी जबकि मतगणना 12 और 22 अक्टूबर को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन का काम शुरू भी हो गया है जो 19 सितंबर तक चलेगा।
नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट को शपथ पत्र देकर यह बताना होता है कि उनके दो ही बच्चे हैं। चुनाव के बाद भी अगर कोई शिकायत करता है या कोई आवेदन करता है तो ऐसे कैंडिडेट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। बताया जाता है कि चुनाव के इस नियम को चकमा देने के लिए कुछ लोग दो से ज्यादा बच्चे होने की सूरत में एक्स्ट्रा बच्चा को गोद में किसी और को दिया हुआ दिखाते थे जो असल में कागजी खेल होता था। इसके मद्देनजर आयोग का यह साफ निर्देश कि बच्चे जैविक आधार पर गिने जाएंगे, काफी महत्वपूर्ण है।