दो बार माउंट एवरेस्ट फतह कर चुकी हैं संतोष यादव, पद्मश्री से भी हुई हैं सम्मानित

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दुनिया का हर एक पर्वतारोही अपने जीवन में एक बार माउंट एवरेस्ट की चोटी को फतह करना चाहता है। हालांकि, इस कोशिश में अभी तक कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं, इसकी चोटी को फतह कर लेने वाले पर्वतारोही अपने नाम कई रिकॉर्ड बना लेते हैं। इसी तरह भारत के हरियाणा से आने वाली संतोष यादव हैं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट को एक बार नहीं बल्कि दो बार फतह कर रिकॉर्ड अपने नाम की हैं। मालूम हो कि संतोष याद इस रिकॉर्ड को कायम करने वाली पहली भारतीय भी हैं।

पहली महिला पर्वतारोही होने का बनाया रिकॉर्ड

संतोष यादव ने दो बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर यह साबित कर दिया है कि अगर आपके इरादे पक्के और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। यादव ने साल 1992 में पहली बार माउंट एवरेस्ट को फतह किया। इसके बाद उन्होंने साल 1993 में वह दोबार एवरेस्ट को फतह करने गईं और सफल रहीं। इसी के  साथ संतोष यादव ने दुनिया की पहली महिला होने का रिकॉर्ड कायम किया, जिन्होंने 8848 मीटर शिखर माउंट एवरेस्ट को 2 बार फतह किया हो। संतोष कांगशंग की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला भी हैं।

हरियाणा के रेवाड़ी से आती हैं संतोष यादव

संतोष यादव का जन्म हरियाणा में रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गांव जोनियावास में साल 1968 में हुआ था। बचपन में उनके गांव में लड़कियों की पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था। हालांकि, इस सब के बावजूद भी उनके परिवार ने उन्हें पढ़ाया और आगे की पढ़ाई के लिए जयपुर भेजा।ॉ

जयपुर से पूरी हुई है शिक्षा

 

संतोष यादव ने जयपुर महाविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद संतोष ने पर्वतारोही बनने की तैयारी करने लगीं। संतोष ने कई कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपनी मेहनत जारी रखा और उन्होंने पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपना नाम बनाया। अंततः उन्होंने दो बार माउंट एवरेस्ट की चोटी को फतह करने वाली पहली महिला पर्वतारोही बन गईं।

कांगशंग फेस से भी कर चुकी हैं एवरेस्ट की चढ़ाई

संतोष यादव ने माउंट एवरेस्ट को दो बार फतह किया। पहली बार साल 1992 में उन्होंने जब इसकी चढ़ाई चढ़ी तो वह एक भारत-नेपाली टीम के साथ थीं। वहीं, दूसरी बार उन्होंने कांगशंग मुख से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की जो पूर्व दिशा की ओर है और इसको अन्य पक्षों की तुलना में बहुत अधिक कठिन माना जाता है।

ITBP में अधिकारी हैं संतोष यादव

संतोष फिलहाल भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में बतौर अधिकारी के रूप में तैनात हैं। अपने प्रयासों के चलते संतोष यादव को 1994 में राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार और 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। मालूम हो कि साल 2022 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी परंपरा में बदलाव करते हुए अपने इतिहास में पहली बार एक महिला को पर्वतारोही संतोष यादव के रूप में वार्षिक आरएसएस विजयादशमी उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था।

जब जेएनयू में हुआ था एक छात्रा से सामना

आरएसएस के वार्षिक विजयादशमी उत्सव में शामिल होने के दौरान संतोष यादव ने जेएनयू का एक किस्सा सुनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं एक बार जेएनयू में पर्यावरण पर बोल रही थी। इसी दौरान एक छात्रा ने मुझसे पूछा कि हमें हमें रामचरितमानस या गीता पढ़ने को क्यों कहा जाता है, जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि मैंने तो आपसे ऐसा करने को नहीं कहा। उन्होंने छात्रा से पूछा कि क्या अपने इन पुस्तकों को पढ़ा है, जिस पर छात्रा ने कहा कि नहीं। संतोष ने छात्रा को समझाते हुए कहा कि किसी भी पुस्तक को पढ़े बिना उसके प्रति द्वेष पालना सही नहीं होता है।

महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं संतोष यादव

मालूम हो कि संतोष यादव देश में रहने वाली अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं। छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने दुनिया भर में देश का गौरव बढ़ाया। आज के समय उनसे प्रेरणा लेकर कई महिलाएं अपनी फिल्ड में ऊंचे मुकाम पर पहुंच रही हैं।

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