15 नवंबर को पूरा बिहार थम जाएगा. सड़कों पर सन्नाटा दिखेगा. घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा. पर, क्यों ? कोई खतरा है नहीं. दरअसल, 15 नवंबर यानी बुधवार को ट्रांसपोर्टर्स हड़ताल पर जा रहे हैं. यह कोई छोटा हड़ताल नहीं है. सभी बड़े छोटे वाहनों का चक्का जाम रहेगा. तो जाहिर है दैनिक कार्य के लिए, ऑफिस जाने वालों के लिए या अन्य किसी भी ख़ास कार्य के लिए परेशानी बढ़ जाएगी.
यह चक्का जाम भारत सरकार की ट्रांसपोर्टर्स पर बनाई गई कड़ी नीतियों के खिलाफ है. इसलिए भारत सरकार के जनविरोधी एवं परिवहन उद्योग विरोधी नीतियों के विरोध में ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन की ओर से 15 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है. इस बाबत फेडरेशन के महासचिव राजकुमार झा ने बताया कि सरकार ने सितंबर माह से लाइसेंस शुल्क में बेतहाशा बढ़ोतरी की है.
बता दें कि इससे पहले भी जीएसटी को लागू करने के तरीके को लेकर उठ रहे सवालों के बीच ट्रांसपोर्टरों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने 9 और 10 अक्टूबर को पूरे देश में चक्का जाम किया था. ट्रांसपोर्टर इस बात से नाराज हैं कि नई जीएटी व्यवस्था ने उन पर टैक्स का बोझ बढ़ा दिया है.
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष एसके मित्तल ने बताया था कि नई जीएसटी व्यवस्था के तहत ट्रांसपोर्टरों को अपने पुराने बिज़नेस एसेट्स (जैसे पुराने ट्रक, बस आदि) की बिक्री करने पर भी जीएसटी देना होगा. उनकी नाराज़गी इस बात को लेकर भी है कि ट्रांसपोर्टरों को जीएसटी के तहत रजिस्टर करने को कहा गया है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं.
पिछले चार महीने में ट्रांसपोर्टरों ने सरकार के सामने कई बार अपनी मांगे रखीं, लेकिन कोई आश्वासन नहीं मिल पाया है. इस चक्का जाम में देश के करीब 93 लाख ट्रक ऑपरेटर और करीब 50 लाख बस और टूरिस्ट ऑपरेटर्स ने साथ दिया था. उनकी मांग थी कि सरकार डीज़ल की कीमतों में बड़ी कटौती करे.
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के चेयरमैन कुलतारण सिंह अटवाल ने एनडीटीवी से कहा, ‘हमारे बिजनेस में कुल खर्च का 70% हिस्सा डीजल पर खर्च होता है. सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद देश में डीजल की कीमतें नहीं घटाईं. हमारी मांग है कि डीजल की कीमतों में 20 रुपये प्रति लीटर तक कटौती की जाए.’
साभार : लाइव सिटीज