मैथिली ने अपना परचम देश भर में लहरा दिया है। अब ये भाषा सिर्फ बिहार की नहीं रही। इसने देश भर के लोगों को अपनी मिठास से आकर्षित किया है।
मैथिली भाषा अब सिर्फ बिहार के मिथिलांचल की भाषा नहीं रही। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा 2016 में मैथिली भाषा से परीक्षा में शामिल छात्र-छात्राओं ने अपना परचम लहराया है। इस बार मैथिली की परीक्षा में 13 छात्र चयनित हुए हैं।
चयनित छात्रों में बिहार के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के भी छात्र हैं। यूपी के अर्चित विश्वेश (रैंक-335), हरियाणा के अंकित भरद्वाज (441), राजस्थान के सतपाल (809) और नीलिमा खोरवाल (913) भी शामिल हैं।
इसमें बिहार के सुपौल के सोनम कुमार (451), मधुबनी के नीरज कुमार झा (109) और सचिन कुमार (129), पटना से राकेश रंजन (138), विवेक कुमार (200), कुमार सत्यम (339), मुजफ्फरपुर से मनीष कुमार (399), प्रभात कुमार (775) और भागलपुर के कुंदन कुमार (553) शामिल हैं।
इन छात्रों की परीक्षा की तैयारी से जुड़े एक्सपर्ट डॉ. शेखर झा जो मंथन बुक के डाइरेक्टर हैं। वो खुद मिथिलांचल की माटी से हैं। वे पूर्णिया के धमदाहा गांव के निवासी हैं।
उनके इंस्टीच्यूट से पिछली बार भी 15 बच्चों ने परीक्षा पास की थी। जिसमें से 3 बच्चे दूसरे स्टेट के हैं। ये इंस्टीच्यूट दिल्ली में है।
इनके बेहतर योगदान के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन्हें बिहार रत्न से सम्मानित किया है। उन्होंने बताया कि मैथिली भाषा में अच्छी स्कोरिंग होती है।