राज्य में जमीन की कमी एक आम समस्या है। आम आदमी के साथ सरकारी योजनाएं भी जमीन की कमी की वजह से प्रभावित होती हैं और कई बार तो लटक भी जाती हैं। ऐसा ही एक मामला भवन निर्माण से जुड़ा हुआ है।
भवन निर्माण विभाग की जानकारी में यह बात आई है कि वर्ष 2010-11 से लेकर साल 2014-15 के दौरान विभाग ने भवनों के निर्माण की सैकड़ों योजनाओं को हरी झंडी दी, लेकिन इतने वर्ष बीतने के बाद भी जमीन के अभाव में डेढ़ सौ से अधिक योजनाएं प्रारंभ ही नहीं हो सकीं। अब विभाग ने संबंधित कार्य प्रमंडलों से संबंधित योजनाओं की अद्यतन स्थित तलब की है।
भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव राजेश कुमार सिंह की ओर से एक पत्र जिलों को भेजा गया है। उसमें कहा गया है कि वर्ष 2010-11 से 2014-15 की अवधि में भवन निर्माण से जुड़ी 2966 योजनाओं को स्वीकृति दी। कार्य को समय में पूरा करने के लिए विभाग ने 4790 करोड़ रुपये की राशि भी स्वीकृत की। इन योजनाओं में से 258 योजनाएं विभिन्न कारणों से प्रारंभ नहीं हुईं। इनमें 153 योजनाएं जमीन की वजह से शुरू नहीं हुईं।
विभाग के अनुसार, जो योजनाएं जमीन के अभाव में प्रारंभ नहीं हुई, उनमें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, खाद्य उपभोक्ता एवं संरक्षण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग से संबंधित हैं। लंबित योजनाओं को लेकर महालेखा कार ने भी पूर्व में आपत्ति दर्ज कराई थी। अब इस मामले को लेकर भवन निर्माण विभाग काफी गंभीर हो गया है। विभाग के सचिव संयुक्त ने लंबित या प्रारंभ नहीं हुई योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी है।