बिहार की महिलाएं अब पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. इस बीच एक महिला खेती कर अपनी सफलता की कहानी लिख रही है. आशा देवी इन दिनों बागवानी योजना की मदद से जैविक तरीके से पपीता की खेती सालभर करती हैं. उन्होंने कहा कि जब खेती से नाता नहीं था, तो जिंदगी काफी कष्टों के बीच गुजरी, लेकिन वर्तमान समय में कृषि ही परिवार की खुशहाली का माध्यम बना हुआ है.
बता दें कि कृषि विज्ञान केंद्र पर समय-समय पर किसानों की प्रगति के लिए पपीता की बागवानी को लेकर प्रशिक्षण दिया जाता है. इसी प्रशिक्षण में चेरिया बरियारपुर प्रखंड के श्रीपुर पंचायत वॉर्ड संख्या-9 की रहने वाली आशा देवी भी शामिल हुईं. उन्होंने बताया कि उनके पास महज 10 कट्ठा खेत है. इसी खेत में हाइब्रिड प्रजाति का पपीता लगाया है. बागवानी योजना के जरिए पपीता की खेती के लिए 21 हजार रुपये की मदद मिली. हम एक पौधा 20 रुपये में लेकर आए थे. जबकि सरकार की तरफ से 13. 50 रुपये प्रति पौध का अनुदान मिला है.
पपीता की खेती कर सालाना 2.50 लाख की कमाई
महिला किसान आशा देवी ने बताया कि 10 कट्ठे में पपीता की खेती पर 50 हजार रुपये सालाना खर्च आता है. वहीं, 21 हजार रुपये सरकारी सहायता के रूप में मिलते हैं. उन्होंने बताया कि अगर कुछ करने का मन में ठान लिया, तो उसे कोई रोक नहीं सकता है. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ. पड़ोसी का ताना सुनने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और अपनी 10 कट्ठे जमीन पर पपीता की खेती शुरू की. साथ ही बताया कि जमीन वैसे स्थान पर थी, जहां पहले अपराधी घटना को अंजाम देते थे. आज इसी इलाके में 6.50 रुपये के एक पपीते के पौधे से 40 किलो तक पपीता उत्पादन होता है. हम सालाना से 2.50 लाख की कमाई कर रहे हैं.