पांच रुपए का केमिकल खर्च कर 60 दिनों तक लीची को सुरक्षित रख सकते हैं। राज्य सरकार ने किसानों के लिए लीची सुरक्षा योजना तैयार की है। इस पर 11.50 करोड़ खर्च होंगे।
किसानों को लीची सुरक्षित रखने के लिए केमिकल और कोल्ड स्टोरेज पर होने वाले खर्च का 90 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी। भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर मुंबई की फूड टेक्नोलॉजी डिविजन ने यह तकनीक इजाद की है।
29 मई को भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर और राज्य सरकार के बीच इस तकनीक के उपयोग के लिए एमओयू होगा। तीन साल से अधिक समय से रिसर्च के बाद भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर ने इस तकनीक को ईजाद किया है।
किसान इस तकनीक से लीची का ट्रीटमेंट कर पॉलीबैग में 60 दिनों तक सुरक्षित रख रखेंगे। बिहार बागवानी मिशन के माध्यम से इस योजना का क्रियान्वयन होगा। बिना ट्रीटमेंट पकी लीची अधिकतम 6 दिनों तक सुरक्षित रहती है।
ट्रीटमेंट के बाद इसकी लाइफ 54 दिन बढ़ जाएगी। इससे लीची की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होगी। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर लीची ट्रीटमेंट के लिए प्लांट लगाया गया है। यहां किसान लीची लाकर ट्रीटमेंट करा सकते हैं।
राज्य बागवानी मिशन के नोडल पदाधिकारी नरेंद्र मोहन ने बताया- भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर ने लीची रक्षक घोल 1, 2 और 3 विकसित किया है। यह जीआरएएस (जनरली रिकोग्नाइज्ड एज सेफ) केमिकल है।
50 किलो लीची के ट्रीटमेंट के लिए 200 लीटर का कंटेनर चाहिए। इसमें 100 लीटर पानी को 52 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म किया जाता है।
इसमें घोल 1 डाला जाता है और फिर 10 मिनट तक 50 किलो लीची इसमें छोड़ दी जाती है। सामान्य पानी में घोल 2 डालकर 30 मिनट तक छोड़ा जाता है।