वैशाली के महुआ में सारे ताल-तलैया सूखे हुए हैं। इसलिए इस बार छठ पर्व में व्रतियों को अध्र्य देने में परेशानी होगी। वे महापर्व चैती छठ का अध्र्य कहां देंगे इसको लेकर संशय बरकरार है।
व्रतियों द्वारा अध्र्य देने की जगह को तलाशा जा रहा है। गुरुवार को व्रतियों ने बताया कि महापर्व की अध्र्य देने के लिए कहीं भी जलाशय में पानी नहीं है। इसके कारण घर पर ही पोखर जैसा गड्ढा खुदवाकर अध्र्य देने की तैयारी कर रहे हैं। महुआ बाजार से होकर गुजरने वाली वाया नदी सूख चुकी है। इसमें मवेशियों को पीने लायक भी पानी नहीं है। व्रतियों को परेशानी हो रही है कि अध्र्य का अनुष्ठान कहां पूरा करेंगी।
महुआ के काली घाट पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ महापर्व पर जुटती है। यहां नदी के गड्ढे में थोड़ा पानी है, जिसमें किसी तरह अध्र्य देने की तैयारी की जा रही है। नदी के पुल घाट, चांदसराय घाट, पकड़ी घाट, गोरीगामा घाट, कढ़निया घाट, सती माई घाट, गरजौल घाट, छतवारा घाट, कुशहर, सिंघाड़ा, मकसुदपुर, रसूलपुर आदि घाटों पर व्रतियों द्वारा अध्र्य दिया जाता है पर पानी नहीं रहने के कारण परेशानी आ रही है। इधर, कुछ स्थानों पर लोग पंप सेटों को चलाकर पोखर में पानी भरने की कोशिश कर रहे हैं।
.jpg)
इससे व्रतियों में उम्मीद है कि अध्र्य दिया जा सकेगा। कन्हौली पोखर को पीएचइडी के पंप् द्वारा पानी चलाकर भरा गया है। इसमें व्रतियों को अध्र्य देने में सहूलियत होगी। यहां व्रतियों के लिए लोग घाट बनाने लगे हैं। रानीपोखर, सरसई सरोवर, लक्ष्मीपुर, फुलवरिया, शाहपुर, मिरजानगर, मर्जिापुर, सेहान, बकाढ़, रामपुर, माधोपुर, दामोदरपुर, मटियारा आदि स्थानों पर जलाशय सूखे हुए हैं। हुसेनीपुर का करैलामन झील भी सूखा है। इससे व्रतियों को अध्र्य देने के लिए जगह तलाशा जा रहा है। पातेपुर के नून नदी सूख गई है। लोगों ने बताया कि घर पर गड्ढा खोदकर, पंप सेट चलाकर आदि व्यवस्था से व्रतियों को अध्र्यदान कराया जाएगा। प्रशासन के द्वारा व्रतियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।