रूस में विधायक बन गया ये बिहारी डॉक्टर, वहीं से की थी मेडिकल की पढ़ाई; प्रैक्टिस के लिए आए वापस लेकिन पहुंच गए असेंबली। अभय एस्टेट बिजनेस में रहते हुए वे रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन से प्रभावित हुए। 2015 में अभय ने पुतिन की राजनीतिक पार्टी यूनाइटेड रशा की सदस्यता ली।
हर साल करीब सात हजार भारतीय स्टूडेंट मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। उनमें से अधिकतर चीन और रूस जाते हैं। इसमें बिहार से भी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स होते हैं, इन्हीं में एक थे पटना के अभय कुमार सिंह, जो 1991 में मेडिकल की पढ़ाई के लिए पहली बार रूस गए।
1988 में लोयला हाईस्कूल से पासआउट अभय कुमार सिंह के लिए उस वक्त मेडिकल में कॅरियर बनाना ही मकसद था। यह पूरा भी हुआ, क्योंकि अभय ने रूस में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटकर मेडिकल प्रैक्टिस के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। उसके बाद एक बार फिर वे रूस गए और अब वहां के कुर्स्क प्रांत के डेप्यूटैट यानी विधायक बन गए हैं।
भारत में मेडिकल प्रैक्टिस का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद यहां अभय ने प्रैक्टिस शुरू नहीं की। वे रूस लौट गए और वहां फार्मा सेक्टर में बिजनेस शुरू किया। शुरुआती दिक्कतों के बाद अभय को इसमें सफलता मिली। इसके बाद अभय ने अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट शुरू किया।
फार्मा सेक्टर से अधिक परेशानी इस सेक्टर में हुई लेकिन, अभय लगातार लगे रहे और धीरे-धीरे पांव जम गए। आज रूस में अभय और उनकी कंपनी के मॉल भी हैं।
साइंस कॉलेज से इंटर करने के बाद अभय ने UG के लिए बीएन कॉलेज में नॉमिनेशन कराया, लेकिन बीच में ही वे मेडिकल स्टडी के लिए रूस चले गए। उनकी दिलचस्पी कभी सीधे राजनीति में नहीं रही। रियल एस्टेट बिजनेस में रहते हुए वे रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन से प्रभावित हुए। 2015 में अभय ने पुतिन की राजनीतिक पार्टी यूनाइटेड रशा की सदस्यता ले ली।
उनको 2017 में उनकी पार्टी ने कुर्स्क प्रांत के डेप्यूटैट का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया। अभय जीत गए और यहां से उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई। लोयला में उनके साथ पढ़े चंद्रदीप ने बताया कि सीधे राजनीति में तो उस वक्त कोई दिलचस्पी नहीं दिखी थी, लेकिन लीडरशिप क्वालिटी अभय में शुरू से थी।
अभय ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि भारतीय राजनीति और रूस की राजनीति में अंतर है। कई चीजें जो आज भारतीय राजनीति का हिस्सा हैं, वे रूस में बीती बात हो चुकी हैं। लेकिन, कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें भारतीय राजनीति को रूस की राजनीति से सीखने की जरूरत है।
करप्शन जैसे मुद्दे पर रूस भारत से बेहतर है क्योंकि यहां पॉलिटिकल करप्शन कहीं कम है। इसके अलावा कानून के इम्प्लीमेंटेशन के मामले में भी रूस से सीखने की जरूरत है, क्योंकि भारतीय व्यवस्था में कानून का इम्प्लीमेंटेशन सही तरीके से नहीं हो पाता। यह राजनेताओं का काम है।