राम नवमी के जुलूस को लेकर सुबह से ही माहौल जोशीला था । लोग अपने घरों से सर पर केशरिया गमछा ,ललाट पर जय श्री राम की पट्टी और हाथों में बजरंगबली का झंडा लिये अरवल के महुआ बाग़ की ओर रवाना हुये ।अरवल के महुआ बाग़ में हजारों या कहे लाखों की संख्या में लोग एकत्रित हो गये । जितनी संख्या लोगों की थी तकरीबन उतनी ही संख्या मोटरसाइकिल की । माहौल जोशीला था सो थोड़ा ट्रैफिक नियम को नजर अंदाज कर हर मोटरसाइकिल पर दो , तीन तो किसी किसी पर चार लोग बैठे हुए थे ।
हाथी, घोड़ा, ऊंट और रामलला की झांकी को देखने के लिए महिलाएं अपने घरों की बालकोनी पर खड़ी थी हालांकि पुरुष बालकोनी में नजर नहीं आ रहे थे क्योंकि तकरीबन प्रत्येक घर के सारे पुरुष जुलूस में जय श्री राम के नारे लगा रहे थे । जय श्री राम , वंदे मातरम, भारत माता की जय तो कभी- कभी रामलला हम आएंगे मंदिर वही बनाएंगे जैसे कई और नारे लोग लगा रहे थे । गर्मी काफी ज्यादा थी । लोग पसीने से तर बतर थे । जिसे देखते हुए जुलूस मार्ग के रास्ते में कुछ – कुछ दूरी पर कई लोग अपने घरों के बाहर शरबत, सादा पानी , चना के साथ कई और चीजे जुलूस में शामिल लोगों को दे रहे थे जिनसे उनके थकान में थोड़ी कमी आये ।
जुलूस अरवल के अन्य मार्गों को पार कर जैसे ही जनकपुर मंदिर के पास पहुंचा जुलूस में शामिल सारे व्यक्ति अनुशासन में दिखने लगे । प्रशासन की तरफ से पुलिस बल की संख्या बढ़ा दी गयी । कारण था जुलूस जाने का आगे का मार्ग मुस्लिम आबादी की बहुलता वाला था । जिस तरह देश के अन्य हिस्सों में घटनाएं हो रही है और जिस तरह का माहौल देश के अन्य हिस्सों व्याप्त है उसे देखकर प्रशासन से लेकर लोग सतर्क हो गये ।
सारे मुस्लिम पुरुष अपने घरों के ओटा ( दरवाजे) पर खड़े थे और घर की मुस्लिम महिलाएं घर की बालकोनी से जुलूस का नजारा देख रही थी । जो एक बहुत बड़ा प्रेम , भाईचारे का प्रतीक था । उस भाईचारे में बल तब मिला जब कुछ दूरी बाद एक नजारा दिखा। एक- दो मुस्लिम परिवार तो अपने घरों के बाहर जुलूस में शामिल लोगों को शरबत- पानी पिला रहे थे ।
इस नज़ारे को देख लगा कि अरवल प्रेम से भरा जिला है जहाँ हर एक- दूसरे के प्रति दिलों में नफ़रत नहीं प्रेम बसता है । अरवल उन चंद लोगों के बहकावे में नहीं आने वाला जो हमारे भाईचारे को नष्ट करना चाहते है ।
दोस्तों आइये हम अपने अंदर की नफरत को खत्म करे और भाईचारे को मजबूत करे । जय श्री राम…..