करीब छह महीने पूर्व एक मिस्ड कॉल से शुरू हुआ प्यार का सफर आखिरकर अंजाम तक पहुंच ही गया। प्रेमिका महीनों तक प्रेमी से मोबाइल पर बात करती रही।
इनका प्रेम जब परवान चढ़ा तो दोनों ने घर से भाग कर शादी करने का निर्णय लिया और एक दिन घर से भाग भी गए। जब प्रेमी से प्रेमिका की पहली मुलाकात हुई और उसे पता चला कि जिसके साथ वह जिंदगी गुजारने के लिए अपने जन्मदाता को छोड़ कर भागी है वह दिव्यांग (पैर से) है।
इसके बावजूद दीवानगी कम न हुई । प्रेमिका के इन्कार करने के डर से प्रेमी ने मोबाइल पर महीनों तक हुई बातचीत में अपनी दिव्यांगता छुपाई। लेकिन प्रेमिका के अटूट प्यार ने सिर्फ उस दिव्यांग की हौसला बढ़ा दी। बल्कि जीवन जीने का नजरिया ही बदल दिया।
दरअसल, यह कहानी नगर के चंडी स्थान की रीमा एवं मझौवा के विपिन गिरी की है। प्यार में पागल इस युगल ने न सिर्फ शादी रचाई बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि प्यार न जात-पात न रंग-रूप और ना ही शारीरिक संरचना से होता है। प्यार दो दिलों का संगम है।
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Your love is true
Very nice your thinking