नवरात्र में नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ। इसी कारण भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर कहलाए। सभी देवी-देवताओं को मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है।
मां दुर्गा के अंतिम स्वरूप की आराधना के साथ नवरात्र का समापन हो जाता है। मां सिद्धिदात्री की उपासना धर्म, संन्यास, कर्मकांड, ज्योतिष आदि से आजीविका प्राप्त करने वालों के लिए सर्वश्रेष्ठ है। मां सिद्धिदात्री की पूजा सच्चे मन से करने से नौ देवियों की कृपा प्राप्त होती है।
मां सिद्धिदात्री धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं। मां की आराधना से अटके हुए कार्य पूर्ण होते हैं। नवमी के दिन कन्याृओं को भोजन कराना चाहिए। कन्याऔओं में मां का वास होता है। मां सिद्धिदात्री का स्वरूप मां सरस्वती का स्वरूप माना जाता है।