आगरा की एएसपी अपर्णा गुप्ता अपनी मां नीरा गुप्ता की प्रेरणा के बगैर वह कभी भी आर्इपीएस अफसर नहीं बन सकती थी। उनकी मां ने आखिरी सांस तक अपर्णा को न सिर्फ तैयारी करवार्इ थी, बल्कि अपने परिवार में यह तीसरी बेटी होने के बाद से समाज में ताने मारने वालों को जबरदस्त जवाब भी दिया था।
वह चाहती थीं कि अपर्णा प्रशासनिक सेवा में आए। अपर्णा ने जब पहली बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी थी, तो उनकी मां ने पांच दिन पहले ही 15 मर्इ 2012 को बीमारी के कारण अस्पताल में आखिरी सांस ली थी।
यहां भी उन्होंने अपर्णा की तैयारी में कोर्इ कसर नहीं छोेड़ी थी। रोते-रोते अपर्णा ने यह परीक्षा दी थी। इसमें तो पास हो गर्इ थी, लेकिन मुख्य परीक्षा में वह दो नंबर से रह गर्इ थी।
तब उन्होंने अपनी मां का सपना सच करने की ठान ली थी आैर 2015 में यह कर दिखाया।
शादी से पहले नीरा गुप्ता स्थानीय आरजी इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट को साइंस पढ़ाती थीं। हल्दिया में सरकारी फर्टीलाइजर कंपनी में कार्यरत डीके गुप्ता से विवाह होने के बाद उन्होंने पढ़ाना छोड़ दिया।
तीन बेटियां हुर्इं। अपर्णा इनमें सबसे छोटी है। र्इमानदार अफसर होने के कारण पिता की सीमित आमदनी थी।
मां ने तीन बेटियों को इसी खर्चे में लालन-पालन किया। उन्होंने तीनों बेटियों अर्चिता, अर्पिता आैर अपर्णा को कभी ट्यूशन नहीं पढ़ने दिया, बल्कि खुद ही पढ़ाया। मां की मेहनत का यह असर था कि तीनों बेटियों ने हमेशा अच्छे मार्क्स हासिल किए।
मां नीरा का अपर्णा के प्रति विशेष लगाव था, क्योंकि जब उनका जन्म हुआ तो तीसरी भी बेटी होने पर उन्हें बहुत कुछ सुनना पड़ा। इस पर मां कुछ नहीं कहती, बल्कि अपर्णा से कहती कि इन्हें कुछ बनकर दिखाना है। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि अपर्णा ने केंद्रीय विद्यालय हल्दिया से दसवीं व बारहवीं में टाॅप किया।