तिरहुत के विमानन इतिहास की शुरुआत तिरहुत सरकार महाराजा रामेश्वर सिंह के कालखंड में ही होती है।
तिरहुत सरकार का पहला विमान एफ-4440 था। जो 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय मूल के सैनिकों के लिए खरीदा गया था। यह एक संयोग ही है कि तिरहुत सरकार का पहला विमान जहां भारतीय फौजी के लिए खरीदा गया था, वही दरभंगा एविएशन का आखिरी विमान भी भारतीय वायुसेना को ही उपहार स्वरूप दिया गया।
तिरहुत सरकार के एक इंजनवाले एफ-4440 विमान में दो लोगों के बैठने की सुविधा थी। 1931 में वासराय के दरभंगा आगमन से पहले तिरहुत सरकार द्वारा एक विमान खरीदने की बात कही जाती है।
यह जहाज भी बेहद छोटा था। एक इंजनवाले इस जहाज की कोई तसवीर अब तक उपलब्ध नहीं हुई है, क्योंकि ये समय पर दरभंगा नहीं आ सका। 1932 में गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए जब कामेश्वर सिंह लंदन गये तो उस जहाज को भारत लाने की बात हुई, लेकिन नहीं आ पाया।
1934 के भूकंप के बाद इसे अशुभ मान कर लंदन में ही बेच दिया गया। तिरहुत में पहला विमान 1933 में उतरा।