दुर्लभ पक्षी गरूड़ ने भागलपुर को पूरी दुनिया में विशेष पहचान दिलाई है। दुनिया में बड़े गरूड़ की संख्या जहां घट रही है, वहीं भागलपुर में इसकी संख्या बढ़ी है।
देश का एकमात्र गरूड़ पुनर्वास केंद्र भी भागलपुर में होने से इसकी संख्या बढ़ रही है। ग्रामीणों की पहल, अनुकूल वातावरण होने से भागलपुर का कदवा दियारा और खैरपुर पंचायत गरूड़ का पसंदीदा स्थल है।
यहां गरूड़ों को प्रचूर आहार भी मिलता है। इस समय पूरी दुनिया में करीब 1400 गरूड़ हैं, इनमें से करीब 700 भागलपुर जिले में ही हैं। यह शोध है पर्यावरण पर काम रही बिहार सोसाइटी एक्ट से रजिस्टर्ड संस्था मंदार नेचर क्लब का।
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एक साल पहले तक भागलपुर में 550 गरूड़ थे और दुनिया में करीब 1200। खास बात है कि गरूड़ के घोसलों में भी पिछले सालों में काफी वृद्धि हुई है।
मंदार नेचर क्लब के संस्थापक सदस्य अरविंद मिश्रा कहते हैं 16 घोसले से गरूड़ ने 2006 में यहां अपना बसेरा शुरू किया था, जो अब 121 पहुंच गया है।
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भागलपुर के सुंदर वन में 2014 में विश्व का पहला गरूड़ पुनर्वास केंद्र भागलपुर में खोला गया। यहां घायल गरूड़ों को लाकर उनका इलाज किया जाता है और ठीक होने पर वापस दियारा क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है।
इस केंद्र अब पर्यटन से भी जोड़ने की योजना है। फिलहाल यहां आठ गरूड़ का इलाज चल रहा है।
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गरूड़ की सुरक्षा का जिम्मा ग्रामीणों ने ले लिया है।
वन विभाग और मंदार नेचर क्लब ने ग्रामीणों को इसकी अहमियत के बारे में बताया है।
शुरुआत में दिक्कत हुई, लेकिन बाद में भगवान विष्णु की सवारी से जोड़कर जब उसे समझाया तो लोग जागरूक हुए।
गरूड़ को बचाने के लिए गांव में चौपाल लगाते हैं। लोग एक-दूसरे को जागरूक करते हैं।