इंसान अगर ठान ले तो नामुमकिन को भी मुमकिन कर सकता है। ये इंसान के अंदर का ही हौसला होता है जो अगर ठान ले तो पहाड़ को भी काटकर रास्ता बना लेता है।
कौन जानता था कि एक छोटे से स्कूल में पढ़ाई-लिखाई करने वाला बच्चा एक दिन विदेश में बड़े-बड़े लोगों को योगा सीखाएगा। जी हा, हम बात कर रहे हैं दरभंगा के रहने वाले साकेत मोहन की जो आज की तारीख में वियतनाम के बहुत विख्यात योगगुरु हैं।
साकेत मोहन की उपलब्धियों के बारे में हम आपको आगे और विस्तार से बताएंगे लेकिन फिलहाल आप इतना ही समझ लीजिए की साकेत आज दुनियाभर में भारत और बिहार का नाम रोशन कर रहे हैं।
साकेत मोहन की सक्सेस स्टोरी को आप सबों के समक्ष रखते हुए मुझे निजी तौर पर इसलिए बेहद खुशी महसूस हो रही है क्योंकि साकेत मेरे बचपन के मित्र भी हैं। साकेत और हमने दरभंगा के ही मिश्रटोला मोहल्ले में एक ही स्कूल में साथ पढ़ाई किया था। साकेत का गांव दरभंगा के जााले इलाके में है। साकेत के पिता एच एम मिश्र दरभंगा में ही सरकारी नौकरी में थे।
साकेत ने योगा की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा दरभंगा के पूअर होम स्थित योगा केंद्र से की। उसके बाद साकेत ने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा की डिग्री मुजफ्फरपुर के बाबा साहेब आंबेडकर यूनिवर्सिटी से ली। योगा टीचर ट्रेनिंग उन्होंने मुंगेर के प्रसिद्ध बिहार योगा भारती से किया। भोपाल से मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद इन दिनो चित्रकूट यूनिवर्सिटी से PhD कर रहे हैं।