बक्सर जिला एक ऐतिहासिक और पौराणिक शहर के रूप में मशहूर रहा है। इसका नाम शुरू से ही बक्सर नहीं था,बक्सर नया नाम है।सतयुग में बक्सर का नाम सिद्धाश्रम था, त्रेता में बामनाश्रम द्वापर में वेदगर्भाऔर कलियुग में व्याघ्रसर से इसका नाम बक्सर हो गया।
आम बोलचाल में पुराने लोग इसे बगसर भी कहते हैं।बक्सर को विश्वामित्र नगरी के नाम से भी जाना जाता है। बक्सर की कथा वराह्पुराण, ब्रह्म्व्यवर्त पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, नारद पुराण, श्रीमद भागवत पुराण, गरुण पुराण, भविष्य पुराण, बाल्मीकि पुराण (महाभारत) आदि में बक्सर के ऐतिहासिक होने का साक्ष्य मिलता है।
बक्सर पटना से लगभग 130 किमी पश्चिम और मुगलसराय से 60 मील पूरब में पूर्वी रेलवेलाइन के किनारे स्थित है। ये बिजनेस के लिएभी जाना जाता है। बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा को यहां बड़ा मेला लगता है, जिसमेंलाखों व्यक्ति इकट्ठे होते हैं।बक्सर ज्ञान और अध्यात्म की कर्मभूमि बिहार के कोने-कोने की अपनी खास पहचान है।
राज्य में बक्सर ही एक ऐसा जिला है जो त्रेता युग से लेकर आज तक की स्मृतियों को अपने दामन में समेटे हैं। भगवान श्रीराम की पाठशाला माने जाने वाले बक्सर को मिनी काशी भी कहा जाता है।
विभिन्न समुदाय और सत्संग के मठ-मंदिर, श्रीराम से जुड़े स्थल, ब्रह्मपुर का बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर, चैसा का मैदान, बक्सर युद्ध का गवाह कथकौली मैदान, खूबसूरतगोकुल जलाशय के आसपास हिरणों का अघोषित अभयारण्य, चैसा के पास उत्तरायण से करवट लेती गंगा की मनमोहिनी चाल, चैसा का च्यवनमुनि का आश्रम और भी बहुत कुछ है।