मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष सहायता दिए जाने की मांग दोहरायी है.
प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में नीतीश ने कहा कि अपनी उक्त मांग को पत्रों के माध्यम से अथवा अंतरराज्यीय परिषद एवं नीति आयोग की विभिन्न बैठकों में केंद्र सरकार के समक्ष रखा है. उन्होंने कहा है कि देश की आजादी के बाद विकास के दृष्टिकोण से राज्यों के अनुभव में काफी भिन्नता रही है.
जहां कई राज्यों को तेजी से विकास हुआ है, वहीं कई अन्य राज्य अभाव से ग्रसित रहे हैं. योजना आयोग और वित्त आयोग के वित्तीय हस्तांतरण भी राज्यों के बीच के इस अंतर को पाटने में असफल रहे हैं. नीतीश ने कहा कि बिहार जैसे राज्यों को इसका भारी खमियाजा भुगतना पड़ा है.
केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष अनुदानों का सार्वाधिक लाभ विकसित राज्यों को ही मिला है. इस कारण से क्षेत्रीय असंतुलन को बढ़ावा मिला है तथा देश के विकास में टापू सृजित हो गए हैं.
उन्होंने कहा कि बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए यह चिन्ता का विषय है कि राज्यों के बीच निधि के बंटवारा के लिए 14वें वित्त आयोग ने जो फार्मूला दिया है उसके आधार पर कुल राशि में बिहार का हिस्सा 10.9 प्रतिशत से घटकर 9.7 प्रतिशत हो गया है.
वित्त आयोग ने क्षेत्रफल तथा प्राकृतिक वनों की अधिकता को अधिमानता दी है जबकि बिहार जैसे अधिक जनसंख्या धनत्व एवं थलरुद्ध राज्य की विशिष्ट समस्याओं की अनदेखी की है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना आवश्यक है.
राज्य को विशेष दर्जा मिलने से जहां एक ओर केन्द्र प्रायोजित योजना में केन्द्रांश के प्रतिशत में वृद्धि होती जिससे राज्य को अपने संसाधनों का उपयोग अन्य विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं में करने का अवसर मिलता वहीं दूसरी ओर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में छूट से निजी निवेश के प्रवाह को गति मिलती जिससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे.
नीतीश ने कहा है कि बिहार अपना पिछड़ापन दूर कर देश की प्रगति में योगदान करना चाहता है. हमारी विशेष राज्य के दर्जे की मांग इसी सोच पर आधारित है. अत: इस पृष्ठभूमि में अनुरोध है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा एवं विशेष सहायता प्रदान करने की कृपा की जाये. वहीं सूत्रों के मुताबिक बिहार को केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा दे सकती है.