सेन्टर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने अन्य सिविल सोसाइटियों के साथ मिलकर बिहार सरकार को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रोत्साहन हेतु नई नीति को मंज़ूरी देने के लिए बधाई दी। इस नीति के द्वारा बिहार की बिजली उत्पादन क्षमता में 3433 मेगावाट की बढ़ोतरी होगी जिसके परिणामस्वरूप बिहार अगले पांच वर्षों में एक ऊर्जा दक्ष राज्य के रूप में उभरकर सामने आएगा।
यह हाल के दिनों में किसी भी राज्य के द्वारा तैयार की गई सबसे व्यापक नवीकरणीय ऊर्जा नीतियों में से एक है, जिसमें सभीनवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है। यह नीति 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से अपनी स्थापित उत्पादनक्षमता का एक चौथाई (1/4) हिस्सा विकसित करने में बिहार के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी। इससे संधारणीय दृष्टिकोण के माध्यमसे भारी आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी |
सीड के सीईओ श्री रमापति कुमार ने कहा, “हमारे राज्य के लिए इस प्रकार की व्यापक नवीकरणीय ऊर्जा नीति को तैयार करने के लिए मैंबिहार के ऊर्जा मंत्री को बधाई देता हूँ | मुझे नहीं लगता कि इस नीति में किसी भी महत्त्वपूर्ण तथ्य को छोड़ा गया है। यह नीति राज्य स्तरपर संधारणीय ऊर्जा द्वारा संचालित विकास के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगी।”
श्री कुमार ने यह भी कहा कि “ऐसा अनुमान लगायाजा रहा है कि इस नवीन नवीकरणीय नीति द्वारा 20,000 करोड़ रुपये के निवेश के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। बिहार के लिए यह नीतिअद्वितीय व परिवर्तनात्मक साबित होगी। ऐसा पहली बार होगा कि विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणालियों को वंचितों के लिए ऊर्जा सेवाएंप्रदान करने वाला प्रमुख घटक माना जा रहा है।
नई अक्षय ऊर्जा नीति वास्तव में अत्यंत समावेशी व तकनीकी तठस्थ है। अगले पांच वर्षों में 3433 मेगावाट की स्वच्छ ऊर्जा का उपयोगकरने हेतु यह हर प्रकार की नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करती है। इस नीति की कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं इसका पूर्णरूप से परिभाषित लक्ष्य, निर्धारित समय सीमा, सोलर रूफटॉप पर ज़ोर, विकेन्द्रित अक्षय ऊर्जा प्रणालियाँ (डीआरई) तथा स्वच्छ ऊर्जा केमाध्यम से कृषि के क्षेत्र में परिवर्तन लाने की कोशिश। पहली बार बिहार सरकार ने जिला स्तर पर लैंडबैंक बनाने पर ध्यान दिया है औरसोलर परियोजनाओं के लिए सभी सरकारी भवनों की छत को संभावित रूफटॉप के रूप में शामिल किया है।