क्षेत्र के किसानों की तरक्की और युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से 60 के दशक में दो करोड़ की लागत से बनमनखी चीनी मिल एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिल थी।
यह बिहार का पहला सहकारिता मिल था। 119 एकड़ में फैली इस मिल में वर्ष 1970 में उत्पादन शुरू हुआ था। मिल की क्षमता प्रतिदिन एक हजार क्विटंल चीनी उत्पादन की थी। सरकारी उदासीनता के चलते यह मिल बंद हो गई।
वर्ष 1997 में मिल बंद हो गई। गन्ना पेराई का काम पूरे प्रदेश में लगभग ठप हो गया, लेकिन आज जितनी दुर्दशा बनमनखी चीनी मिल की है, उतनी किसी की नहीं हुई।
खंडहर में बदल चुके मिल पर चोरों का कब्जा हो गया है। चोरों ने कलपुर्जे तक खोल लिए, अब भवन के लोहे और टीन का ढांचा बचा है। केयरटेकर अमरेंद्र यादव कहते हैं मिल बंद होने से सैकड़ों लोगों के रोजगार चले गए।